राजनीतिक फायदे के लिए जाकिर नाइक को मलेशिया सरकार ने दी शरण
नाइक को पिछले माह पतरा मस्जिद से निकलते देखा गया। उसके साथ अंगरक्षक थे और वह नमाज अदा करने के बाद वहां से जा रहा था।
By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Thu, 02 Nov 2017 08:49 PM (IST)
कुआलालंपुर, रायटर्स: भारत में जांच एजेंसियों के निशाने पर आए उपदेशक जाकिर नाइक को मलेशिया सरकार ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए शरण दी है। नाइक को पिछले माह पतरा मस्जिद से निकलते देखा गया। उसके साथ अंगरक्षक थे और वह नमाज अदा करने के बाद वहां से जा रहा था। एक महिला पत्रकार ने उससे सवाल किए तो नाइक का कहना था कि उसके लिए किसी महिला से सार्वजनिक तौर पर बात करना ठीक नहीं है। उसने उनके किसी सवाल का जवाब नहीं दिया।
सूत्रों का कहना है कि नाइक को शरण देकर मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक 2018 के आम चुनाव के लिए वोटरों को लुभाने में लगे हैं। देखा जाए तो मलेशिया मुस्लिम बहुल्य देश है, लेकिन वहां 40 फीसद आबादी ऐसे लोगों की है जो हिंदू, ईसाई व बौद्ध समुदाय से हैं। 2013 के चुनाव में सत्तारूढ़ दल को झटका लगा था। मुस्लिम वोट उससे झिटक कर दूर चले गए थे। नाइक जैसे कट्टरपंथी का समर्थन करके सरकार जनता को संदेश देना चाहती है कि वह इस्लाम को प्रश्रय देने के लिए हर तरह से तैयार है। एस राजारथनम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, सिंगापुर के विश्लेषक रशहाद अली का कहना है कि मलय समुदाय में जाकिर एक लोकप्रिय शख्सियत है। उससे नजदीकी बढ़ाकर सरकार इस समुदाय को अपने पक्ष में करना चाहती है। अगर वह नाइक को देश से बाहर करने का जोखिम उठाती है तो मलय के बीच सरकार का समर्थन खत्म हो जाएगा।जाकिर के खिलाफ भारत में पिछले सप्ताह चार्ज फ्रेम किए गए हैं। एजेंसियों का कहना है कि टीवी के जरिये जाकिर विभिन्न धर्मो के बीच शत्रुता को बढ़ाने लगा था। वैसे जाकिर के वक्तव्य भी इस बात की पुष्टि करते हैं। 52 वर्षीय चिकित्सक ने समलैंगिकों के लिए मौत की सजा को जायज ठहराया है तो वह यह भी कहता है कि अगर ओसामा बिन लादेन अमेरिका जैसे सबसे बड़े आतंकी को डरा सकता है तो वह उसके साथ है। उसका प्रभाव किस कदर है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि बांग्लादेश में धमाका करके 22 लोगों की जान लेने वाले आतंकियों से कहा था कि वह जाकिर के उपदेशों से प्रभावित हुए हैं।
आइएसआइएस ने ये हमला कराया था। मलेशिया उसका इस्तेमाल करना चाहता है। मंगलवार को उप प्रधानमंत्री अहमद जाहिद हमीदी ने संसद को बताया था कि जाकिर पांच साल पहले नागरिकता हासिल कर चुका था। हालांकि उनका कहना था कि उसे वीआइपी सुविधा नहीं दी जा रही है, लेकिन उनका यह भी कहना था कि जाकिर ने उनके देश में कानून नहीं तोड़ा है। भारत ने भी उसके प्रत्यर्पण को लेकर मलेशिया से बात नहीं की है। विपक्षी दल पीएएस ने भी नाइक को देश से निकालने का विरोध किया है। उधर, मलेशिया के हाई कोर्ट में कुछ गैर मुस्लिमों ने याचिका दायर करके उसे देश से निकालने की मांग की है। गौरतलब है कि नाइक ने कुवैत में टीवी कार्यक्रम में कहा था कि मोदी की हिंदूवादी सरकार उसे निशाना बना रही है।यह भी पढ़ेंः आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर SC में कल सुनवाई