पाक के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ राजद्रोह केस में दोषी करार, स्पेशल कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा
Pervez Musharraf sentenced to death in high treason case इस्लामाबाद की विशेष अदालत ने राजद्रोह के मामले में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Tue, 17 Dec 2019 04:33 PM (IST)
इस्लामाबाद, पीटीआइ/एएनआइ/आइएएनएस। Pervez Musharraf sentenced to death in high treason case पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के मामले में दोषी करार देते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई है। पेशावर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। बीते 5 दिसंबर को विशेष अदालत ने सरकार की दलीलें सुनने के बाद कहा था कि वह केस में 17 दिसंबर को अपना फैसला देगी। इससे पहले अदालत ने निर्देश दिया था कि 76 वर्षीय मुशर्रफ 5 दिसंबर तक इस मामले में आकर अपना बयान दर्ज कराएं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया था। मुशर्रफ इन दिनों दुबई में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।
पाकिस्तान के इतिहास में पहली बारपाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब सेना प्रमुख के पद पर रहे किसी शख्स को राजद्रोह के मामले में अदालत की ओर से सजा-ए-मौत सुनाई गई है। पेशावर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ Waqar Ahmad Seth की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने 2-1 से 76 वर्षीय मुशर्रफ के खिलाफ यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 48 घंटों में फैसले की पूरी कॉपी आने की संभावना है।
लाहौर हाईकोर्ट में याचिका समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, लाहौर हाईकोर्ट (Lahore High Court, LHC) ने मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ की याचिका पर सुनवाई के लिए फुल बेंच के गठन की संस्तुति की। इस याचिका में विशेष अदालत के गठन को चुनौती देने के साथ ही राजद्रोह मामले की सुनवाई के साथ-साथ केस की कार्यवाही रोके जाने की गुजारिश की गई है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि विशेष अदालत ने अपना फैसला इस्लामाबाद हाई कोर्ट के उन निर्देशों के बावजूद दिया है जिनमें मुशर्रफ के खिलाफ परोक्ष तौर पर निर्णय नहीं सुनाए जाने की बात कही थी।
पाकिस्तान सरकार से मांगा था जवाब इस मामले में कल यानी सोमवार को तब नया मोड़ आ गया था जब लाहौर हाईकोर्ट (Lahore High Court) ने मुशर्रफ (Pervez Musharraf) की याचिका पर पाकिस्तान सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा था। याचिका में इस्लामाबाद की विशेष अदालत के समक्ष लंबित राजद्रोह मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई है। अपने आवेदन में मुशर्रफ (Musharraf's application) ने हाईकोर्ट से गुजारिश की थी कि वह विशेष अदालत में उनके खिलाफ राजद्रोह के मामले में लंबित सभी कार्यवाहियों को असंवैधानिक करार दे।
28 नवंबर को आना था फैसलाअसल में विशेष अदालत इस केस में 28 नवंबर को ही फैसला सुनाने वाली थी लेकिन मुशर्रफ और पाकिस्तान सरकार की याचिकाओं पर इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत को फैसला देने से रोक दिया था। यही नहीं विशेष अदालत ने इस केस की सुनवाई 5 दिसंबर को करने की बात कही थी। साथ ही साथ विशेष अदालत ने पूर्व पाकिस्तानी तानाशाह को निर्देश दिया था कि वह 5 दिसंबर तक मौजूद होकर अपना बयान दर्ज कराएं। लेकिन मुशर्रफ ने दुबई के अमेरिकन हास्पिटल से अपने एक वीडियो संदेश जारी कर अपनी तबियत खराब होने की बात कही थी।
आपातकाल थोपने के आरोप मुशर्रफ पर देश में तीन नवंबर 2007 को अतिरिक्त संवैधानिक आपातकाल लगाने के आरोप थे। पाकिस्तान की पीएमएल-एन सरकार (Pakistan Muslim League-Nawaz, PML-N) ने उनके खिलाफ दिसंबर 2013 में यह मामला दर्ज किया था। मुशर्रफ पर 31 मार्च, 2014 को देशद्रोह के मामले में आरोप तय किए गए थे। इसी साल सितंबर में अभियोजन ने सारे सबूत विशेष अदालत के समक्ष रखे थे। केस में बार बार डाली गई याचिकाओं के कारण देरी हुई। रिपोर्टों में कहा गया है कि मुशर्रफ दुर्लभ बीमारी अमिलॉइडोसिस से पीड़ित हैं। इस बीमारी में प्रोटीन शरीर के अंगों में जमा होने लगती है। फिलहाल, मुशर्रफ दुबई में अपना इलाज करा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट से राहत की गुहारमुशर्रफ ने बीमारी का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट से राहत की गुहार लगाई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनका नाम एक्जिट कंट्रोल लिस्ट से हटाए जाने का निर्देश दिया था जिसके बाद गृह मंत्रालय की मंजूरी मिलने से वह मार्च 2016 में विदेश जाने में कामयाब हो गए थे। उन्होंने वापस लौटने की बात कही थी। लेकिन अपनी जान को खतरा बताते हुए उन्होंने स्वदेश वापसी से इनकार कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तान की विशेष अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था। विशेष अदालत में उनके वकील की ओर से यह भी बताया गया कि मुशर्रफ का स्वास्थ्य खराब रहता है इस वजह से डॉक्टरों ने उन्हें दुबई से बाहर जाने मना किया है।
शरीफ की सरकार का किया था तख्ता पलट साल 1999 में जनरल मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार को जबरन सत्ता से बेदखल कर दिया था। उन्होंने पाकिस्तान पर साल 2008 तक राज किया जब तब कि उनको जनता और सेना की ओर से पद छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया गया। बीते दिनों दुबई के एक अस्पताल में भर्ती मुशर्रफ ने अपने वीडियो संदेश में आरोप लगाया था कि उन्हें न्याय नहीं दिया जा रहा है ना तो उनके वकील की दलीलें नहीं सुनी जा रही हैं। उन्होंने कहा था कि मेरा बयान लेने के लिए अदालत की ओर से गठित आयोग दुबई आ सकता है, मैं उसे यहीं बयान दे सकता हूं। आयोग के सदस्य यहां आकर मेरी हालत भी देख सकते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ दर्ज किया गया देशद्रोह का मामला आधारहीन है।