दुविधा में इमरान, पाकिस्तान में दिनोंदिन ध्वस्त हो रहा आंतरिक प्रशासन, जानें इसकी वजहें
पाकिस्तान अपनी आंतरिक प्रशासनिक मशीनरी को टूटते हुए देख रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की पुलिस और सुरक्षा बल कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी - तहरीक-ए-लब्बैक (टीएलपी) पाकिस्तान के समर्थकों की ओर से संचालित देशव्यापी हिंसा को नियंत्रित करने में नाकाम रहे हैं।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Mon, 17 May 2021 07:14 PM (IST)
इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान अपनी आंतरिक प्रशासनिक मशीनरी को टूटते हुए देख रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की पुलिस और सुरक्षा बल कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी - तहरीक-ए-लब्बैक (टीएलपी) पाकिस्तान के समर्थकों की ओर से संचालित देशव्यापी हिंसा को नियंत्रित करने में नाकाम रहे हैं। यह बात ग्लोबल सिक्योरिटी कंसल्टिंग (RJGSC) के अध्यक्ष रोलैंड जैक्वार्ड (Roland Jacquard) ने ग्लोबल वॉच एनालिसिस में एक ओपिनियन पीस में कही है।
रोलैंड जैक्वार्ड ने लिखा है कि पाकिस्तानी सेना द्वारा भारत के खिलाफ छद्म युद्ध (proxy war against India) शुरू करने के लिए बनाए गए इस्लामिक जिहादी समूह मौजूदा वक्त में बेहद ताकतवर बन गए हैं। इनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये विदेश नीति के निर्णयों को निर्धारित करने में भी दखल देने लगे हैं। जैक्वार्ड की टिप्पणी ऐसे वक्त में सामने आई है जब पाकिस्तान में फ्रांस के खिलाफ कट्टरपंथियों में उबाल देखा जा रहा है।
दरअसल टीएलपी के समर्थक पैगंबर मोहम्मद का कार्टून प्रकाशित करने के मामले में फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर पाकिस्तान में भारी उपद्रव देखा गया। आलम यह है कि टीएलपी समर्थकों के आगे पाकिस्तान सरकार भी घुटने टेक चुकी है। पाकिस्तान सरकार प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) से बातचीत करके बवाल को थामने की कोशिशें कर रही है जिससे पुलिसकर्मी भी नाखुश हैं।
रोलैंड जैक्वार्ड कहते हैं कि फ्रांस विरोधी प्रदर्शनों के साथ-साथ प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों की चुप्पी से टीएलपी का मनोबल और बढ़ गया है। टीएलपी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन के खिलाफ ईशनिंदा के आरोप लगाए हैं। पाकिस्तान में आंतरिक मशीनरी फेल हो चुकी है क्योंकि पुलिस और सुरक्षा बल के जवान खुद को देशव्यापी हिंसा रोकने में असमर्थ पा रहे हैं। टीएलपी समर्थकों की मांग यह भी है कि फ्रांस से सभी व्यापारिक रिश्ते खत्म कर लिए जाएं।