'मोदी से कहो, हमें PAK के अवैध कब्जे से मुक्ति दिलाएं': पाई-पाई को मोहताज गुलाम कश्मीर की जनता का फूटा गुस्सा
गुलाम जम्मू कश्मीर में लोग पाकिस्तान सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। वे भारत से मदद के लिए नारे लगा रहे हैं। वह कह रहे हैं कि मोदी से कहो कि हमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्ति दिलाएं और हमारी आत्माओं को बचाएं। हम भूख से मर रहे हैं। कृपया यहां आएं और हमारी मदद करें।
मुजफ्फराबाद, एएनआई। पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर (PoK) के हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं, जनता आसमान छूती महंगाई, खाद्य पदार्थों की कमी सहित कई संकटों का सामना कर रही है। ऐसे में गुलाम कश्मीर की जनता सड़कों पर उतर चुकी है और बड़े पैमाने पर पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा ले रही है।
खाद्य संकट का सामना कर रही जनता
शब्बीर चौधरी नामक कार्यकर्ता ने आम जनता की चिंताओं को व्यक्त करते हुए गुलाम कश्मीर में बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध प्रदर्शन के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में चौधरी ने खुलासा किया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में लोग महंगाई, बिजली की कटौती, खाद्य असुरक्षा और कई अन्य चिंताओं से जूझ रहे हैं।
साथ ही उन्होंने खुलासा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर के लोग अवैध कब्जे से मुक्ति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मदद मांग रहे हैं। उन्होंने कहा,
पाकिस्तान इस बात से परेशान है, लेकिन आश्चर्यजनक बात जो सुनने को मिली है वह यह कि गुलाम जम्मू कश्मीर नियंत्रण रेखा (LoC) के पास रहने वाले लोगों ने नारे लगाए हैं कि मोदी से कहो कि हमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे से आजादी दिलाए। हम भूख से मर रहे हैं।
चौधरी ने पाकिस्तान की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि गुलाम कश्मीर में लोगों को बिजली के बिल का अधिक भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि इस क्षेत्र में बिजली का सबसे अधिक उत्पादन होता है।
जमकर हो रहे विरोध प्रदर्शन
सनद रहे कि नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में बिजली की कीमत पिछले तीन महीनों में दोगुनी हो गई है। गुलाम जम्मू कश्मीर में आटे और अन्य जरूरतों पर लगने वाले भारी टैक्स से भी लोगों को परेशानी हो रही है।
यहां रहने वाले पिछले कई दशकों से पाकिस्तान के कुशासन के कारण त्रस्त हैं। उन्होंने भारत से मदद मांगी है, जो आजादी के लिए उनकी आशा की किरण बनकर खड़ा है। पाकिस्तान सरकार ने हमेशा से यहां रहने वालों के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार किया है।