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Baloch Genocide Day: 25 जनवरी को बलूच नरसंहार दिवस किया गया घोषित, पाकिस्तान नरसंहार के खिलाफ आंदोलन जारी

बलूच यकजीथी कमेटी ने 25 जनवरी को बलूच नरसंहार दिवस ( Baloch Genocide Day) घोषित किया है। सोशल मीडिया X(पूर्व में ट्विटर) पर बलूच यकजीथी कमेटी ने एक पोस्ट साझा करते हुए कहा इस दिन खुजदार के तूतक इलाके में बलूच लापता व्यक्तियों के 200 से अधिक शव पाए गए थे। सभी मृत व्यक्ति लापता व्यक्तियों में से थेजिन्हें सुरक्षा बलों द्वारा अलग-अलग समय पर अपहरण कर लिया गया था।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Sun, 28 Jan 2024 12:10 PM (IST)
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बलूच नरसंहार का आधिकारिक प्रतीक (Image: x/@BalochYakjehtiC)

एएनआई, बलूचिस्तान (पाकिस्तान)। बलूच यकजीथी कमेटी ने 25 जनवरी को बलूच नरसंहार दिवस घोषित किया है। बता दें कि इस दिन, खुजदार के तूतक क्षेत्र में बलूच लापता व्यक्तियों के 200 से अधिक शव पाए गए थे। सभी मृतक व्यक्ति उन लापता व्यक्तियों में से थे जिनका सुरक्षा बलों द्वारा विभिन्न समय पर अपहरण कर लिया गया था।

सोशल मीडिया 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर बलूच यकजीथी कमेटी ने एक पोस्ट साझा करते हुए कहा, 'इस दिन, खुजदार के तूतक इलाके में बलूच लापता व्यक्तियों के 200 से अधिक शव पाए गए थे। सभी मृत व्यक्ति लापता व्यक्तियों में से थे, जिन्हें सुरक्षा बलों द्वारा अलग-अलग समय पर अपहरण कर लिया गया था।' बलूच नरसंहार का एक आधिकारिक प्रतीक भी समिति द्वारा साझा किया गया। हालांकि, उन्होंने कहा कि एक विस्तृत बयान जल्द ही साझा किया जाएगा। 

बलूच नरसंहार का आधिकारिक प्रतीक भी हुआ जारी

बलूच यकजीथी समिति ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, 'बलूच नरसंहार का आधिकारिक प्रतीक। 25 जनवरी को बलूच यकजेहती समिति द्वारा आधिकारिक तौर पर बलूच नरसंहार दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। एक विस्तृत बयान जल्द ही साझा किया जाएगा।'

— Baloch Yakjehti Committee (@BalochYakjehtiC) January 27, 2024

नरसंहार नीतियों के खिलाफ शाल में प्रदर्शन

रिपोर्ट के मुताबिक, बलूच यकजीथी कमेटी ने पाकिस्तान की कथित नरसंहार नीतियों के खिलाफ शुक्रवार को शाल में ऐतिहासिक और बलूचिस्तान के इतिहास के सबसे बड़े जलसों में से एक का सफलतापूर्वक समापन किया। समिति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से गंभीरता की कमी के कारण बलूच राष्ट्र के खिलाफ अपनी दमनकारी नीतियों को जारी रखेगी। 

बलूच नरसंहार के खिलाफ आंदोलन

गौरतलब है कि बलूच नरसंहार के खिलाफ आंदोलन दो महीने पहले तुरबत में शुरू हुआ था, जहां केच में 13 दिनों के धरने को राज्य ने गंभीरता से नहीं लिया था। फिर केच से क्वेटा और क्वेटा से इस्लामाबाद तक मार्च शुरू किया गया। जलसा की शुरुआत बलूच राष्ट्रगान के साथ हुई, जिसके लिए बलूचिस्तान भर से हजारों बलूच लोगों ने बलूच आंदोलन के लिए अपनी उपस्थिति और समर्थन सुनिश्चित करते हुए शाल की यात्रा की। यह तब तक जारी रहेगा जब तक राज्य बलूचिस्तान में अपनी नरसंहार नीतियों को समाप्त नहीं कर देता।

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