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बलूचिस्तान में 20 साल से गायब हो रहे लोग, गुमशुदाओं की मिल रही लाशें; पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों पर लगे गंभीर आरोप

अपहरण किए गए इन लोगों में महिलाएं बच्चे बुजुर्ग और पुरुष शामिल हैं जिनकी संख्या सैकड़ों में है। एक अनुमान है कि अब तक 500 ​​से अधिक लोगों का अपहरण किया गया है। इसमें भी मोबाइल नेटवर्क आंशिक रूप से ब्लैकआउट होने की वजह से सटीक आंकड़े अस्पष्ट हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जबरन गायब किए जाने से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र क्वेटा केच मश्के और अवारन हैं।

By Agency Edited By: Abhinav Atrey Updated: Mon, 12 Aug 2024 03:56 PM (IST)
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गायब हुए लोगों के लिए बलूचिस्तान में लगातार प्रदर्शन होते रहे हैं।
एएनआई, क्वेटा। पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान में लोगों के जबरन गायब होने की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है। इस साल केवल जुलाई महीने के आखिरी हफ्ते में 18 लोग लापता हो गए। इन लापता लोगों में से पांच के शव बरामद हुए हैं और चार की घर वापसी हुई है।

बलूचिस्तान पोस्ट ने अपनी द्वि-साप्ताहिक रिपोर्ट में बताया कि बलूचिस्तान में जबरन गायब होने की समस्या पिछले बीस साल से चली आ रही है। इसके लिए बलूच राष्ट्रवादी कार्यकर्ता और मानवाधिकार समूह लगातार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों पर आरोप लगाते रहे हैं। बलूचों का कहना है कि यह अपहरण और हत्याओं पाकिस्तान करवा रहा है।

संलिप्तता से इनकार करती रही है पाक सरकार

बलूचिस्तान के मानवाधिकार संगठनों द्वारा दिए गए सबूतों के बाद भी पाकिस्तानी सरकार किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार करती रही है। हालांकि, इस रिपोर्ट में ग्वादर और अन्य क्षेत्रों में हिरासत में लिए गए लोगों को शामिल नहीं किया गया है।

अपहृतों में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और पुरुष शामिल

अपहरण किए गए इन लोगों में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और पुरुष शामिल हैं, जिनकी संख्या सैकड़ों में है। एक अनुमान है कि अब तक 500 ​​से अधिक लोगों का अपहरण किया गया है। इसमें भी मोबाइल नेटवर्क आंशिक रूप से ब्लैकआउट होने की वजह से सटीक आंकड़े अस्पष्ट हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जबरन गायब किए जाने से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र क्वेटा, केच, मश्के और अवारन हैं।

मार डालो और फेंक दो नीति

द बलूचिस्तान पोस्ट ने रिपोर्ट कहा, "बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने और न्यायेतर हत्याएं परेशान करने वाली हैं। इसे 'मार डालो और फेंक दो' नीति के रूप में जाना जाता है। यह रणनीति कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों सहित राज्य के लोगों द्वारा अपनाई जाती है, जिसमें व्यक्तियों, अक्सर कार्यकर्ताओं, राष्ट्रवादियों का अपहरण करना और फिर उन्हें मार डालना शामिल है।"

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