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Pakistan: चुनाव आयोग के काम में दखल नहीं देगा SC, मुख्य न्यायाधीश बोले- यह संवैधानिक संस्था है

पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय चुनाव आयोग का काम अपने हाथ में नहीं लेगा। मालूम हो कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी का चुनाव चिह्न बल्ला को बहाल कर दिया था और निर्वाचन आयोग के फैसले को असंवैधानिक घोषित करार दिया था।इसी मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Fri, 12 Jan 2024 03:59 PM (IST)
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चुनाव आयोग के काम में दखल नहीं देगा SC: पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश।

पीटीआई, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (CJP) काजी फैज ईसा ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय चुनाव आयोग का काम अपने हाथ में नहीं लेगा। शीर्ष न्यायालय ने पेशावर उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती देने वाली चुनाव आयोग की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

संवैधानिक संस्था है चुनाव आयोगः CJP

सीजेपी ईसा ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि देश का चुनाव आयोग अपना काम कर रहा है तो हम उनके काम में दखल नहीं देंगे। उन्होंने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को संवैधानिक संस्था करार देते हुए कहा कि चुनाव आयोग सिर्फ एक अर्ध-न्यायिक निकाय नहीं है। यह एक संवैधानिक संस्था है। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग का दो काम है, जिसमें राजनीतिक दलों के मामलों को विनियमित करना, जो कि एक सतत प्रक्रिया है और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराना शामिल है।

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तीन सदस्यीय पीठ ने की मामले की सुनवाई

मालूम हो कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी का चुनाव चिह्न 'बल्ला' को बहाल कर दिया था और निर्वाचन आयोग के फैसले को असंवैधानिक घोषित करार दिया था। इस मामले पर सीजेपी ईसा, न्यायमूर्ति मुहम्मद अली मजहर और न्यायमूर्ति मुसर्रत हिलाली की तीन सदस्शायीय पीठ सुनवाई की।

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'बल्ला' चुनाव चिह्न मामले पर हो रही थी सुनवाई

पाकिस्तान चुनाव आयोग ने 22 दिसंबर को आगामी चुनावों के लिए पीटीआई को अपना चुनाव चिह्न बरकरार रखने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया था। इस दौरान आयोग ने तर्क दिया था कि वह अपने प्रचलित संविधान और चुनाव कानूनों के अनुसार अंतर-पार्टी चुनाव कराने में विफल रही है, जिसके बाद पीटीआई ने 26 दिसंबर को ईसीपी के आदेश के खिलाफ पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) का दरवाजा खटखटाया और एकल सदस्यीय पीठ ने 9 जनवरी तक पार्टी का चुनाव चिन्ह बहाल कर दिया और निर्देश दिया कि मामला एक डिवीजनल बेंच के समक्ष तय किया जाए।