पाकिस्तान में CPEC के खिलाफ उठती आवाज पर हैरान चीन अलाप रहा अपना ही राग
पाकिस्तान में चीन के सहयोग से बन रहे सीपीईसी प्रोजेक्ट पर देश में उठ रहे विरोधस्वर से अब चीन परेशान हो रहा है। यही वजह है कि चीन की तरफ से इसको लेकर जवाब दिया जा रहा है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 23 Oct 2018 08:40 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान में चीन के सहयोग से बन रहे सीपीईसी प्रोजेक्ट पर देश में उठ रहे विरोधस्वर से अब चीन परेशान हो रहा है। यही वजह है कि चीन की तरफ से इसको लेकर जवाब दिया जा रहा है। यह जवाब किसी और ने नहीं बल्कि चीनी राष्ट्रपति के सलाहकार प्रोफेसर सन होंग्की ने दिया है। दरअसल, बिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट की वजह से पाकिस्तान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। इसको लेकर लगातार आर्थिक विशेषज्ञ पाकिस्तान को आगाह करते रहे हैं। बीच-बीच में इस प्रोजेक्ट के खिलाफ लोगों की तरफ से भी विरोधी स्वर सुनाई दिए हैं। लेकिन सबसे खास बात ये है कि नवाज सरकार के दौरान इस प्रोजेक्ट के खिलाफ मुखर होकर बोलने वाले इमरान खान अब इस पर चुप्पी साधे बैठे हैं, वह भी तब जबकि वह सत्ता में हैं। बहरहाल, इस प्रोजेक्ट के खिलाफ उठ रही आवाजों के मद्देनजर सकपकाए चीन ने कहा है कि पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली की वजह सीपीईसी का प्रोजेक्ट नहीं है।
घट रही पाकिस्तान की रेटिंग
सबसे पहले आपको ये बता दें कि पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था को देखते हुए मूडीज ने उसकी क्रेडिट आउटलुक रेटिंग घटा कर नेगेटिव कर दी है। जहां तक पाक के नए पीएम इमरान खान की बात है तो उन्होंने देश को आर्थिक बदहाली से उबारने के लिए आईएमएफ से बेलआउट पैकेज की मांग रखी थी, लेकिन इस पर अमेरिका ने नाराजगी जाहिर कर दी थी। यहां पर आपको ये भी बता दें कि पाकिस्तान पहले भी 12 बार बेलआउट पैकेज ले चुका है।
सबसे पहले आपको ये बता दें कि पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था को देखते हुए मूडीज ने उसकी क्रेडिट आउटलुक रेटिंग घटा कर नेगेटिव कर दी है। जहां तक पाक के नए पीएम इमरान खान की बात है तो उन्होंने देश को आर्थिक बदहाली से उबारने के लिए आईएमएफ से बेलआउट पैकेज की मांग रखी थी, लेकिन इस पर अमेरिका ने नाराजगी जाहिर कर दी थी। यहां पर आपको ये भी बता दें कि पाकिस्तान पहले भी 12 बार बेलआउट पैकेज ले चुका है।
तंगी के बीच में सीपीईसी
वहीं चीन के मेगा बिलियन प्रोजेक्ट का काम भी धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। आलम ये है कि बीच-बीच में पैसे की तंगी की वजह से इसका काम रोका जा चुका है। खास बात ये भी है कि इस प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ रहा है। हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि देश के चालू घाटे में पिछले वर्ष के मुकाबले ढ़ाई फीसद की कमी आई है और अब यह 3.665 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। पिछले वित्त वर्ष में यह 3.761 बिलियन डॉलर था। चीन का पक्ष
प्रोफेसर सन होंग्की ने चीन का पक्ष रखते हुए कहा है कि सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत दिए गए ऋण की भरपाई के लिए पाकिस्तान के पास अभी काफी समय है। यह ऋण वापसी 2023-24 में शुरू होगी। उनके मुताबिक उस वक्त तक पाकिस्तान के आर्थिक हालात अब के मुकाबले कहीं बेहतर होंगे और पाकिस्तान को इसमें कोई दिक्कत नहीं आएगी। उन्होंने एक कॉंफ्रेंस के दौरान इस बात की उम्मीद जताई है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से पाकिस्तान की विकास दर में अभूतपूर्व इजाफा होगा। उनका यह भी कहना था कि पाकिस्तान की बदहाली के लिए इस तरह के मेगा प्रोजेक्ट को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। कॉंफ्रेंस के दौरान उन्होंने इस प्रोजेक्ट के फायदे भी गिनाए हैं।
वहीं चीन के मेगा बिलियन प्रोजेक्ट का काम भी धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। आलम ये है कि बीच-बीच में पैसे की तंगी की वजह से इसका काम रोका जा चुका है। खास बात ये भी है कि इस प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ रहा है। हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि देश के चालू घाटे में पिछले वर्ष के मुकाबले ढ़ाई फीसद की कमी आई है और अब यह 3.665 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। पिछले वित्त वर्ष में यह 3.761 बिलियन डॉलर था। चीन का पक्ष
प्रोफेसर सन होंग्की ने चीन का पक्ष रखते हुए कहा है कि सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत दिए गए ऋण की भरपाई के लिए पाकिस्तान के पास अभी काफी समय है। यह ऋण वापसी 2023-24 में शुरू होगी। उनके मुताबिक उस वक्त तक पाकिस्तान के आर्थिक हालात अब के मुकाबले कहीं बेहतर होंगे और पाकिस्तान को इसमें कोई दिक्कत नहीं आएगी। उन्होंने एक कॉंफ्रेंस के दौरान इस बात की उम्मीद जताई है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से पाकिस्तान की विकास दर में अभूतपूर्व इजाफा होगा। उनका यह भी कहना था कि पाकिस्तान की बदहाली के लिए इस तरह के मेगा प्रोजेक्ट को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। कॉंफ्रेंस के दौरान उन्होंने इस प्रोजेक्ट के फायदे भी गिनाए हैं।
पाकिस्तान में ऊर्जा संकट
उनके मुताबिक पाकिस्तान की मांग के मुताबिक सीपीईसी प्रोजेक्ट के पहले चरण में इससे जुड़े एनर्जी प्रोजेक्ट को पूरा करना उनकी प्राथमिकता है। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर इस बात को दोहराया कि पाकिस्तान चीन का आल-वेदर फ्रेंड है, जिसको वह पूरी तवज्जो देता आया है। यहां पर ये बात ध्यान में रखने वाली है कि एक दशक से ज्यादा से पाकिस्तान में बिजली संकट लगा हुआ है। सीपीईसी परियोजनाओं से इस संकट से निजात मिलने की उम्मीद है। देश में बिजली की कमी 5000 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। आपको बता दें कि प्रोफेसर सन पाकिस्तान मामलों में चीन के राष्ट्रपति के सलाहकार हैं। आपको बता दें कि प्रोफेसर सन पाकिस्तान में चीन के राजदूत भी रह चुके हैं और जियांग्सू नॉर्मल यूनिवर्सिटी में पाकिस्तान स्टडी सेंटर के प्रमुख भी हैं।पाकिस्तान की मांग
चीन ने यह भी साफ कर दिया है कि इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद से चीन की कई कंपनियों ने अपने शीर्ष पदों पर पाकिस्तान के लोगों को बिठाया है। लिहाजा यह कहना भी सही नहीं है कि इसकी वजह से पाकिस्तान में बेरोजगारी बढ़ी है। इतना ही नहीं चीन के मुताबिक व्यापार में असमानता की खाई को पाटने के लिहाज से ही चीन ने कई एग्रीकल्चर प्रोडेक्ट्स पाकिस्तान से खरीदे हैं। क्यों सामने आकर दिया जवाब
दरअसल, पाकिस्तान में आम जन भावना के साथ-साथ पिछले दिनों देश के स्तंभकार सैयद मुहम्मद मेहदी ने सीपीईसी को लेकर नकारात्मक टिप्पणी की थी। उन्होंने इस प्रोजेक्ट की ऑनरशिप को लेकर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि चीन के इस मेगा बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट में उनके ही लोग लगे हैं। उन्होंने कहीं न कहीं इसको देश की बदहाली की वजह बताया था। इसका ही जवाब प्रोफेसर सन ने अपने बयान में दिया है। कई देशों के प्रतिनिधि हुए शामिल
वहीं पंजाब यूनिवर्सिटी के डॉक्टर अमजद अब्बास का कहना था कि व्यापार में असमानता को पाटने के लिए चीन को चाहिए कि वह पाकिस्तान से उसी तरह का समझौता करे जैसा उसने आसियान देशों के साथ किया है। उन्होंने चीन के उस फैसले पर भी आपत्ति जताई पहले पाकिस्तान के व्यापारियों के लिए रिजर्वेशन को हटाने की बात कही गई थी। दो दिन की इस कॉंफ्रेंस में पाकिस्तान और चीन समेत ईरान, मलेशिया, थाइलैंड, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया के प्रतिनिधि भी शामिल थे। पाकिस्तान के बदहाल होने की एक वजह आतंकवाद भी है। देश के स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवाद के खिलाफ देश के युद्ध में 118 अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं। देश की इस नकारात्मक छवि की वजह से पाकिस्तान में विदेशी निवेश घटता जा रहा है।डील ब्रेक मैन के रूप में न होने लगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहचान
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उनके मुताबिक पाकिस्तान की मांग के मुताबिक सीपीईसी प्रोजेक्ट के पहले चरण में इससे जुड़े एनर्जी प्रोजेक्ट को पूरा करना उनकी प्राथमिकता है। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर इस बात को दोहराया कि पाकिस्तान चीन का आल-वेदर फ्रेंड है, जिसको वह पूरी तवज्जो देता आया है। यहां पर ये बात ध्यान में रखने वाली है कि एक दशक से ज्यादा से पाकिस्तान में बिजली संकट लगा हुआ है। सीपीईसी परियोजनाओं से इस संकट से निजात मिलने की उम्मीद है। देश में बिजली की कमी 5000 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। आपको बता दें कि प्रोफेसर सन पाकिस्तान मामलों में चीन के राष्ट्रपति के सलाहकार हैं। आपको बता दें कि प्रोफेसर सन पाकिस्तान में चीन के राजदूत भी रह चुके हैं और जियांग्सू नॉर्मल यूनिवर्सिटी में पाकिस्तान स्टडी सेंटर के प्रमुख भी हैं।पाकिस्तान की मांग
चीन ने यह भी साफ कर दिया है कि इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद से चीन की कई कंपनियों ने अपने शीर्ष पदों पर पाकिस्तान के लोगों को बिठाया है। लिहाजा यह कहना भी सही नहीं है कि इसकी वजह से पाकिस्तान में बेरोजगारी बढ़ी है। इतना ही नहीं चीन के मुताबिक व्यापार में असमानता की खाई को पाटने के लिहाज से ही चीन ने कई एग्रीकल्चर प्रोडेक्ट्स पाकिस्तान से खरीदे हैं। क्यों सामने आकर दिया जवाब
दरअसल, पाकिस्तान में आम जन भावना के साथ-साथ पिछले दिनों देश के स्तंभकार सैयद मुहम्मद मेहदी ने सीपीईसी को लेकर नकारात्मक टिप्पणी की थी। उन्होंने इस प्रोजेक्ट की ऑनरशिप को लेकर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि चीन के इस मेगा बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट में उनके ही लोग लगे हैं। उन्होंने कहीं न कहीं इसको देश की बदहाली की वजह बताया था। इसका ही जवाब प्रोफेसर सन ने अपने बयान में दिया है। कई देशों के प्रतिनिधि हुए शामिल
वहीं पंजाब यूनिवर्सिटी के डॉक्टर अमजद अब्बास का कहना था कि व्यापार में असमानता को पाटने के लिए चीन को चाहिए कि वह पाकिस्तान से उसी तरह का समझौता करे जैसा उसने आसियान देशों के साथ किया है। उन्होंने चीन के उस फैसले पर भी आपत्ति जताई पहले पाकिस्तान के व्यापारियों के लिए रिजर्वेशन को हटाने की बात कही गई थी। दो दिन की इस कॉंफ्रेंस में पाकिस्तान और चीन समेत ईरान, मलेशिया, थाइलैंड, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया के प्रतिनिधि भी शामिल थे। पाकिस्तान के बदहाल होने की एक वजह आतंकवाद भी है। देश के स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवाद के खिलाफ देश के युद्ध में 118 अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं। देश की इस नकारात्मक छवि की वजह से पाकिस्तान में विदेशी निवेश घटता जा रहा है।डील ब्रेक मैन के रूप में न होने लगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहचान
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