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अफगान बोले- पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान के बीच खिंची डूंरड रेखा 'अस्वीकार्य'

893 में अफगान राजा और ब्रिटिश शासित भारत के विदेश मंत्री सर मोर्टिमर डूरंड के बीच हुए समझौते के बाद अफगानिस्‍तान का कुछ हिस्सा ब्रिटिश इंडिया को दे दिया गया था।

By Tilak RajEdited By: Updated: Thu, 16 Nov 2017 11:39 AM (IST)
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अफगान बोले- पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान के बीच खिंची डूंरड रेखा 'अस्वीकार्य'

काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि डूरंड को सीमा रेखा के रूप में साबित करने का कोई सबूत नहीं है। अफगानिस्‍तान और पाकिस्तान सीमा पर सेनाओं के बीच बढ़ता तनाव 100 साल से भी ज़्यादा पुराने क्षेत्रीय विवाद का हिस्सा है।

लॉय अफगानिस्तान तेहरिक (ग्रेटर अफगानिस्तान मूवमेंट) ने हाल ही में राजधानी काबुल में एक सम्मेलन का आयोजन किया, जहां विशेषज्ञों ने डूरंड लाइन की मान्यता के संबंध में अफगानिस्तान में ब्रिटिश राजदूत निकोलस पीटर केए के हालिया बयान की निंदा की। रिपोर्टों के अनुसार, केए ने कहा था कि डूरंड लाइन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच औपचारिक सीमा है।

सम्मेलन में शामिल लोगों ने डूरंड सीमा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का हवाला दिया, जिसे सीमा के दोनों ओर रहने वाले अफगानों ने स्वीकार नहीं किया था, वे सभी पश्तून हैं। इस क्षेत्र को 1893 में ब्रिटेन के औपनिवेशिक शक्ति द्वारा विभाजित किया गया था।

संगठन के लोगों ने अफगान सरकार से कहा कि वह पाकिस्तान को 'मान्यताहीन डूरंड लाइन' पर बाड़ लगाने या इसके करीब नई चौकियों को स्थापित करने से रोकने के लिए कठोर कदम उठाए। बताया जा रहा है कि निकट भविष्य में ऐसे सम्मेलन बन्नू, क्वेटा और ग्रेटर अफगानिस्तान के अन्य प्रांतों में आयोजित किए जाएंगे।

अफगानिस्‍तान के कई शहरों में ब्रिटिश राजदूत द्वारा डूरंड लाइन पर दिए बयान पर प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर डूरंड लाइन पर बाड़ लगाना बंद नहीं हुआ या फिर कोई अन्य चौकी का यहां निर्माण हुआ, तो देशभर में और प्रदर्शन हो सकते हैं।

ये है अफगान-पाक सीमा विवाद
अफगानिस्‍तान और पाकिस्तान सीमा पर सेनाओं के बीच बढ़ता तनाव 100 साल से भी ज़्यादा पुराने क्षेत्रीय विवाद का हिस्सा है। 1893 में अफगान राजा और ब्रिटिश शासित भारत के विदेश मंत्री सर मोर्टिमर डूरंड के बीच हुए समझौते के बाद अफगानिस्‍तान का कुछ हिस्सा ब्रिटिश इंडिया को दे दिया गया था। 1947 में पाकिस्तान के जन्म के बाद कुछ अफगान शासकों ने डूरंड समझौते की वैधता पर ही सवाल उठाए। क्षेत्रीय दावों ने दोनों देशों के बीच दुश्मनी के बीज बो दिए थे जिसके बाद से दोनों देशों के बीच हालात सामान्‍य नहीं हो सके हैं।

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