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क्‍या होगा इमरान का राजनीतिक भविष्‍य, तोशेखाना मामले में PTI प्रमुख पर लटकी है पाकिस्‍तान चुनाव आयोग की तलवार

तोशेखाना मामले में पाकसितान के चुनाव आयोग ने फैसला सु‍रक्षित रख लिया है। सरकार की मांग है कि इस मामले में इमरान खान को अयोग्‍य करार दिया जाए। पाकिस्‍तान चुनाव आयोग को इस मामले में इमरान ने अपना जवाब दायर किया है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 19 Sep 2022 08:25 PM (IST)
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सरकार की मांग है कि तोशेखाना मामले में इमरान को अयोग्‍य करार दिया जाए।
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। पाकिस्‍तान चुनाव आयोग ने इमरान खान के खिलाफ दायर तोशेखाना मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में सरकार ने आयोग से मांग की है कि पीटीआई प्रमुख और पूर्व पीएम इमरान खान को अयोग्‍य करार दिया जाए। सरकार की पूरी कोशिश और मंशा है कि इमरान खान को अयोग्‍य करार कर राजनीति से ही दूर कर दिया जाए। आयोग को इस मामले में इमरान खान ने अपना जवाब दायर किया था। इमरान खान ने माना है कि उन्‍होंने पीएम रहने के दौरान मिले तीन विदेशी तौहफों को बेचा था। 

बता दें कि इस मामले में सरकार लगातार इमरान खान को कटघरे में लाने की कोशिश कर रही है। वहीं इमरान खान भी पाकिस्‍तान चुनाव आयोग से लेकर न्‍यायपालिका तक पर बयानबाजी कर चुके हैं। तोशेखाना को 1974 में बनाया था। इसमें सरकार को विदेशों से मिले सभी तौहफों को रखा जाता है। पाकिस्‍तान मीडिया का कहना है कि तोशेखाना के नियमों के मुताबिक सरकार के प्रमुख और उसके मंत्रियों को विदेशों से मिले तौहफों को बेचा नहीं जा सकता है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि इमरान खान ने इन तौहफों को बेच कर अपनी पार्टी के लिए कथिततौर पर फंड इकट्ठा किया है। 4 अगस्‍त को इस मामले में पाकिस्‍तान डेमाक्रेटिक मूवमेंट द्वारा चुनाव आयोग को मामला दायर करने की अपील गई थी। इसके बाद ही ये मामला दायर किया गया है। 

सरकार की मांग है कि इमरान खान को संविधान के अनुच्‍छेद 62 और 63 के तहत अयोग्‍य करार दिया जाना चाहिए। सरकार का ये भी कहना है कि इमरान खान ने पीएम रहते हुए तोशेखाना को मिले तौहफों की जानकारी को छिपाया और इनको अपने फायदे के लिए बेचा। अब इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला भी सु‍रक्षित रख लिया गया है। अब सभी को इस बात का इंतजार है कि चुनाव आयोग अपना फैसला कब और क्‍या सुनाएगा। इमरान खान आयोग के प्रमुख सिकंदर सुल्‍तान राजा पर सरकार का साथ देने का आरोप तक लगा चुके हैं। उनका कहना है कि राजा के बयानों और फैसलों पर विश्‍वास नहीं किया जा सकता है क्‍योंकि वो सरकार के लिए काम कर रहे हैं।