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पाक सरकार के कदमों से संकट बढ़ने की आशंका, सिंध प्रांत में जमाखोरी रोकने के लिए तय की गई गेहूं भंडारण सीमा

खाद्य मंत्री मुकेश कुमार चावला ने बताया है कि जमाखोरी रोकने के लिए पूरे प्रदेश में छापेमारी की जा रही है। एक आटा मिल एक महीने में 100 किलोग्राम गेहूं के अधिकतम छह हजार बोरों को भंडारण कर सकती है।

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Sat, 08 Apr 2023 11:37 PM (IST)
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गेहूं की जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए सिंध की प्रांतीय सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं।
कराची, एएनआई। पाकिस्तान में चल रहे खाद्यान्न संकट के बीच सरकार ने गेहूं के अवैध व्यापार को रोकने के लिए सख्ती शुरू कर दी है। लेकिन इससे सिंध की प्रांतीय सरकार और आटा मिल मालिकों के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। गेहूं के भंडारण की सीमा तय किए जाने के बाद आटा मिल मालिकों ने ग्रामीण इलाकों में ही अलग-अलग स्थानों पर गेहूं का भंडारण शुरू कर दिया है। इससे शहरी इलाकों में आटे की कमी होने और उसका मूल्य बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।

प्रांतीय सरकार ने उठाए कड़े कदम

गेहूं की जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए सिंध की प्रांतीय सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। खाद्य मंत्री मुकेश कुमार चावला ने बताया है कि जमाखोरी रोकने के लिए पूरे प्रदेश में छापेमारी की जा रही है। एक आटा मिल एक महीने में 100 किलोग्राम गेहूं के अधिकतम छह हजार बोरों को भंडारण कर सकती है। मिल मालिकों को अंदेशा है कि सरकार के इस निर्णय से कराची और प्रदेश के अन्य शहरों में आटे का संकट पैदा हो सकता है, क्योंकि गेहूं के भंडारण की सीमा तय होने से आटा मिलों का नियमित कार्य प्रभावित होगा।

बाजार में आटे का मूल्य रहेगा स्थिर

चावला ने बताया है कि सरकार ने वर्ष 2023-2024 में 14 लाख टन गेहूं की खरीद करने का निर्णय लिया है। वह इस गेहूं के जरिये बाजार में आटे की कमी नहीं होने देगी। इससे बाजार में आटे का मूल्य भी स्थिर रहेगा। विदित हो कि इस समय प्रांत में आटे की कीमत 140 से 160 रुपये प्रति किलोग्राम है।

आठ हजार बोरों को चोरी

इस बीच पंजाब प्रांत के चिनिओट शहर में जनता के बीच वितरित होने वाले मुफ्त आटे के आठ हजार बोरों के साथ नागरिक सुरक्षा विभाग के अधिकारी और राजस्व विभाग के पटवारी समेत 11 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इन लोगों ने आटे के आठ हजार बोरों को चोरी से व्यापारियों के हाथों बेच दिया था। इससे प्रांत के गरीब लोग मुफ्त आटे से वंचित रह गए और वह आटा बाजार में बिक गया।