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इमरान खान की पार्टी का चुनाव चिह्न 'बैट' बचेगा या जाएगा? PTI ने आखिरी कोशिश में खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

पहले पेशावर और अब लाहौर हाई कोर्ट ने गुरुवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के आंतरिक पार्टी चुनाव को असंवैधानिक और चुनाव चिह्न बैट को रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने अब आखिरी प्रयास करते हुए चुनाव चिन्ह को वापस पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 04 Jan 2024 08:13 PM (IST)
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PTI ने आखिरी कोशिश में खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा (फाइल फोटो)
पीटीआई, इस्लामाबाद। पहले पेशावर और अब लाहौर हाई कोर्ट ने गुरुवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के आंतरिक पार्टी चुनाव को असंवैधानिक और चुनाव चिह्न 'बैट' को रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने अब आखिरी प्रयास करते हुए चुनाव चिन्ह को वापस पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

दरअसल, बीते बुधवार को पेशावर हाई कोर्ट ने पाकिस्तान चुनाव आयोग के आदेश को बहाल कर दिया था। वहीं, गुरुवार यानी आज लाहौर हाई कोर्ट ने पीटीआई द्वारा चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद इमरान खान को आम चुनाव से पहले जोरदार झटका लगा।

इमरान खान को अब आखिरी उम्मीद सुप्रीम से

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अब आखिरी उम्मीद सुप्रीम से बची है। पीटीआई प्रमुख बैरिस्टर गौहर खान ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हमने अपना चुनाव चिह्न वापस पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और हमें न्याय मिलने की उम्मीद है।"

शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

वहीं, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की याचिका पर सुनवाई शुक्रवार के लिए तय की है। गत 22 दिसंबर को पाकिस्तान चुनाव आयोग ने पीटीआई के आंतरिक पार्टी चुनाव को खारिज कर पार्टी को चुनाव चिह्न बैट से वंचित कर दिया था। पार्टी के आंतरिक चुनाव में गौहर खान को पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया था।

पार्टी ने चुनाव आयोग के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी

क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की पार्टी ने चुनाव आयोग के फैसले को पेशावर हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने गत 26 दिसंबर को आयोग की घोषणा को निलंबित कर दिया था। इस पर चुनाव आयोग ने गत 30 दिसंबर को हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी।

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