Pakistan: पूर्व PM इमरान खान ने सरकार के कामों पर जताई चिंता, बोले- विदेशों में लोग उड़ा रहे पाकिस्तान का मजाक
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को सरकार के कार्यों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विदेशों में पाकिस्तान का मजाक बना रहे हैं। इस मामले को लेकर इमरान खान ने ट्वीट भी किया।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Sat, 08 Apr 2023 10:04 AM (IST)
इस्लामाबाद (पाकिस्तान), एजेंसी। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को सरकार के कार्यों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विदेशों में पाकिस्तान का मजाक बना रहे हैं।
पाकिस्तान का उड़ा रहे मजाक- इमरान खान
इमरान खान ने ट्वीट कर लिखा, 'डर्टी हैरी' और 'साइकोपैथ' शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए एक पूर्व पीएम के खिलाफ फर्जी FIR और देशद्रोह के बेतुके आरोपों से वे विदेशों में पाकिस्तान की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले खतरनाक सत्ताधारी जोकरों को नहीं समझ रहे हैं! वे पाकिस्तान का मजाक उड़ा रहे हैं।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि पंजाब चुनाव (Punjab Elections) में देरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं करने के पाकिस्तानी सरकार के फैसले के बाद विदेशी निवेशकों को एक संदेश मिल सकता है।
सरकार खुद कर रही SC के आदेश को खारिज
उन्होंने ट्वीट किया, साथ ही, विदेशी निवेशकों को क्या संदेश भेजा जा रहा है, जब सरकार खुद सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को स्वीकार नहीं कर रही है? निवेशकों को अनुबंधों की सुरक्षा चाहिए और इसका मतलब है कि न्यायिक प्रणाली में विश्वास। उन्हें क्या भरोसा हो सकता है जब सरकार खुद सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर रही है? यह बनाना रिपब्लिक में होता है।
संघीय सरकार द्वारा पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (CJP) उमर अता बांदियाल से पद छोड़ने की मांग के बाद खान की टिप्पणी आई, जिसमें दावा किया गया कि मामले में न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह के नोट के बाद उनकी स्थिति "विवादास्पद" हो गई थी।
न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने कहा कि प्रांतीय विधानसभा चुनावों की घोषणा में देरी पर सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान नोटिस को 4-3 के बहुमत से खारिज कर दिया गया।
इस फैसले को सरकार ने खारिज कर दिया, जिसने इसे "अल्पसंख्यक फैसला" करार दिया, साथ ही नेशनल असेंबली ने भी शीर्ष अदालत के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया।सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से सरकार के इनकार ने देश के लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता बढ़ा दी है।