पाकिस्तान और अमेरिका के बीच जो कुछ माह से जुगलबंदी जारी थी वो अब खराब हो गई है। चार कारणों ने इस खेल को पूरी तरह से खराब कर दिया है। एक बार इन दोनों के रिश्ते फिर पुराने समय में पहुंच गए हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 16 Oct 2022 10:15 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बनता खेल अचानक ही बिगड़ गया है। चार बातों ने ही दोनों के बीच सारा खेल खराब कर दिया। इन चारों ही कारणों को नजरअंदाज कर पाना काफी मुश्किल काम है। इन चार कारणों में से पहला कारण अमेरिका की पाकिस्तान को चीन से कर्ज माफी की सलाह का न मानन, दूसरा कारण अमेरिका के हाल ही में जारी National Security Strategy 2022 में भारत को अहम सहयोगी बताना और पाकिस्तान को इसमें शामिल न करना, तीसरा कारण उसके करीबी चीन को सबसे बड़ा खतरा बताना और चौथा कारण पाकिस्तान को विश्व को सबसे खतरनाक देश बताते हुए उसके परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर सवाल उठाना रहा है।
दूरियों में बदल गई करीबी
बीते कुछ माह में जिस तरह से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच करीबियां बढ़ रही थीं इन चार कारणों की वजह से वो फिर से दूरी में बदल गई है। इसमें एक वजह भारत भी हो सकता है। बीते कुछ दिनों में पाकिस्तान से बढ़ती करीबी ने अमेरिका से भारत को जिस तरह से दूर किया और भारत ने जिस तरह से अपनी नाराजगी वैश्विक मंच पर दर्ज कराई वो अमेरिका के लिए एक गंभीर विषय बन गई। दरअसल, अमेरिका ने भारत को रक्षा क्षेत्र में अपना बड़ा सहयोगी बनाया है। एशिया में बढ़ते चीन के कदमों को देखते हुए भारत से जिस सहयोग की अपेक्षा अमेरिका करता है उसमें ये बात साफ है कि उसको पाकिस्तान या भारत में से किसी एक को ही चुनना होगा।
चीन पाकिस्तान की दोस्ती
पाकिस्तान चीन का सबसे बड़ा करीबी है इसलिए चीन के खिलाफ वो पाकिस्तान को नहीं चुन सकता है। अफगानिस्तान में उसकी भूमिका अब लगभग पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। उसका आखिरी लक्ष्य अलकायदा का चीफ अल जवाहिरी भी अब मारा जा चुका है। ऐसे में उसको पाकिस्तान की न तो जरूरत है और न ही वो किसी काम है।
हर तरह से बदहाल है पाकिस्तान
रणनीतिक और आर्थिक रूप से भी पाकिस्तान की भूमिका भारत की अपेक्षा न के ही बराबर है। आर्थिक और रनीतिक रूप से बदहाल पाकिस्तान आज भी चीन के ही इर्द-गिर्द घूम रहा है। इसके अलावा थोड़ा बहुत तुर्की का चहेता बना हुआ है। तुर्की भी अमेरिका का न तो करीबी है और न ही सहयोगी है। उलटा रूस से रिश्तों को लेकर अमेरिका से उसका छत्तीस का आंकड़ा है। ऐसे में भारत का अमेरिका का सिरमौर बनना लाजमी है।
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