पत्रकारों के लिए पाकिस्तान खतरनाक जगह, दुष्कर्म की मिलती हैं धमकियां; छीनी जा रही अभिव्यक्ति की आजादी
पाकिस्तान में सख्त सामाजिक मानदंडों के कारण महिला पत्रकारों को हिंसा और धमकियों का खतरा और भी अधिक होता है। प्रिंट मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों की तुलना में कानूनी कार्रवाई दोगुनी की जाती है
By TilakrajEdited By: Updated: Thu, 08 Jul 2021 01:57 PM (IST)
इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक जगहों में से एक है। यहां ऑनलाइन दुर्व्यवहार, घृणा और शारीरिक हिंसा के कारण महिला पत्रकारों की स्थिति और भी भयावह है। आरएसएफ (रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स) की 2020 वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पाकिस्तान 180 देशों में से 145वें स्थान पर है। मीडिया प्रहरी (मीडिया वॉचडॉग) फ्रीडम नेटवर्क ने कहा कि पाकिस्तान में 2013 से 2019 के बीच 33 पत्रकारों को उनके काम की वजह से मार दिया गया।
पाकिस्तान में सख्त सामाजिक मानदंडों के कारण महिला पत्रकारों को हिंसा और धमकियों का खतरा और भी अधिक होता है। एक रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि प्रिंट मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों की तुलना में कानूनी कार्रवाई दोगुनी की जाती है।पाकिस्तान के लेखक मेहमिल खालिद ने पाकिस्तान डेली में लिखा है कि पत्रकारों को बड़ी संख्या में रोजाना दुष्कर्म, शारीरिक हिंसा की धमकियों का सामना करना पड़ता है।
पत्रकारों ने हिंसा और दुर्व्यवहार के बढ़ते मामलों का हवाला देते हुए कहा कि ये हिंसा को भड़का सकते हैं और इसके परिणामस्वरूप घृणा अपराध हो सकते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जो महिलाएं मौजूदा सरकार और महामारी से निपटने के खिलाफ बोलती हैं, उन्हें मुख्यरूप से निशाना बनाया जाता है। जैसा कि पिछले साल सरकार के खिलाफ एक याचिका पर हस्ताक्षर करने वाली महिला पत्रकारों ने खुलासा किया था।
पत्रकारों ने रिपोर्ट में कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी और सार्वजनिक बातचीत से हमें रोका जा रहा है। दूसरों को अपने विचार रखने की आजादी से रोका जा रहा है। जो अनुच्छेद 19-ए के तहत अधिकारों का उल्लंघन है।
पाकिस्तान में मीडिया पर सेंसर किया गया है और सत्ता या प्रतिष्ठान की किसी भी तरह की आलोचना पर रोक लगाई गई है। पाकिस्तान की आलोचना करने वाले पत्रकारों को सेना की खुफिया शाखा, आइएसआइ से खतरों का सामना करना पड़ता है और उन्हें विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न झेलने पड़ते हैं।