भारत का भविष्य खुशहाल और पाकिस्तान के बारे में अंदाजा लगाना भी मुश्किल, पढ़ें एक वरिष्ठ पत्रकार का लेख
एक ही समय में आजाद हुए पाकिस्तान और भारत में आज जमीन आसमान का अंतर साफ देखा जा सकता है। पाकिस्तान अपने इतिहास से लेकर आज तक अस्थिरता के माहौल से बाहर नहीं आ सकता है। लेकिन नेताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 12 Aug 2022 05:11 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। भारत और पाकिस्तान को आजाद हुए 7 दशक से अधिक का समय हो चुका है। इतने लंबे समय के बाद दोनों देश बिल्कुल दो अलग धुरी पर खड़े हैं। ये केवल हम ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार में वहां के ही एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने लेख में लिखा है। पत्रकार ने अपने लेख में कहा है कि दोनों ही देश एक समय पर आजाद हुए लेकिन दोनों में ही आज जमीन आसमान का अंतर है। भारत का जहां एक बेहतर भविष्य साफ दिखाई देता है वहीं पाकिस्तान का कोई भविष्य दिखाई ही नहीं देता है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के भविष्य का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।
अपने लेख में पत्रकार ने लिखा है कि पाकिस्तान को लेकर सबसे अफसोस की बात ये भी है कि ये देश जो कुछ पहले ही झेल चुका है उससे भी इस मुल्क ने कोई सबक नहीं सीखा है। उनके मुताबिक पाकिस्तान के अतीत में जो कुछ हुआ है उसके कारण भी हमे पता है। इसके बाद भी देश की सियासी जमातें इसको जानते हुए भी अंजान बनने की कोशिश कर रही है। पत्रकार ने अपने लेख में दोनों देशों की तुलना करते हुए लिखा है कि पाकिस्तान में इन 75 वर्षों के दौरान शुरुआती दशक में पाकिस्तान में चार गवर्नर जनरल, बाकी के पांच दशकों में चार जनरल या तानाशाहों को देखा है। वहीं देश की चुनी हुई सरकार की बात करें तो ये केवल मजाक बन कर रही है। वहीं भारत में आजादी के बाद केवल एक गवर्नर जनरल रहा और वहां पर कभी किसी जनरल ने सत्ता पलट की बात सोची भी नहीं।
इतने वर्षों के दौरान पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर है, लेकिन सत्ता के नशे में चूर रहने वाले नेताओं को इसका न तो होश है न ही चिंता है। सरकारें पाकिस्तान के विकास के नाम पर विदेशी कर्ज के बोझ में पाकिस्तान को दबाए जा रही हैं। भारत की तुलना में पाकिस्तान में हमेशा से ही अस्थिरता बनी रही। पाकिस्तान ने वर्षों पहले आज के बांग्लादेश में क्या कुछ नहीं किया। जिस वक्त पूर्वी पाकिस्तान आजाद होकर बांग्लादेश बना था उस वक्त उसकी आधी जनसंख्या को पाकिस्तान के जनरल खत्म कर चुकी थे। पाकिस्तान मोहम्मद अली जिन्ना के कहे शब्दों और दिखाई राह को भी भुल गया।