पाकिस्तान में बंदूकधारियों ने की पादरी की हत्या, ईसाइयों की सुरक्षा को लेकर उठी मांग
पाकिस्तान में चर्च से लौट रहे पादरी की पहले से घात लगाए बंदूकधारियों ने हत्या कर दी प्रोटेस्टेंट चर्च के सबसे वरिष्ठ पादरी बिशप आजाद मार्शल ने इस हमले को लेकर कड़ी निंदा की। वहीं इसके साथ-साथ उन्होंने पाकिस्तान सरकार से ईसाईयों को न्याय और सुरक्षा देने का आग्रह किया।
By Ashisha RajputEdited By: Updated: Mon, 31 Jan 2022 02:52 PM (IST)
नई दिल्ली, एएनआइ। पाकिस्तान में चर्च से लौट रहे पादरी की पहले से घात लगाए बंदूकधारियों ने हत्या कर दी, प्रोटेस्टेंट चर्च के सबसे वरिष्ठ पादरी बिशप आजाद मार्शल ने इस हमले को लेकर कड़ी निंदा की। वहीं इसके साथ-साथ उन्होंने पाकिस्तान सरकार से ईसाईयों को न्याय और सुरक्षा देने का आग्रह किया है। चर्च के अधिकारियों ने बताया कि हमलावरों ने शहर के चमकनी इलाके में पादरी सिराज और रेव पैट्रिक नईम को ले जा रही कार पर गोलियां चलाईं। उन्होंने कहा, घात लगाकर किए गए हमले में पादरी विलियम सिराज की तत्काल मौत हो गई, जबकि नईम घायल हो गए।
डीडब्ल्यू न्यूज के मुताबिकडीडब्ल्यू न्यूज के रिपोर्ट अनुसार आजाद मार्शल ने हमले की निंदा करने और न्याय की गुहार लगाने के लिए अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल का सहारा लिया। पाकिस्तान के प्रोटेस्टेंट चर्च के सबसे वरिष्ठ बिशप आज़ाद मार्शल ने हमले की निंदा की और ट्वीट कर कहा, 'हम पाकिस्तान सरकार से ईसाइयों के न्याय और सुरक्षा की मांग करते हैं।' समाचार पोर्टल के मुताबिक बिशप आज़ाद ने कहा कि दोनों पाकिस्तान के चर्च में पेशावर के सूबा के पादरी थे, जो मेथोडिस्ट और एंग्लिकन सहित प्रोटेस्टेंट चर्चों का एक संघ है।
हमलावरों की तलाश में जुटी पुलिसपुलिस ने बताया कि सीसीटीवी वीडियो के जरिए हमलावरों की तलाश की जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक, शहर के रिंग रोड पर हुए हमले में 75 वर्षीय विलियम सिराज की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि, पादरी के सहयोगी को भी इस हमले में काफी चोटें आईं हैं, जिसके चलते उन्हें फौरन पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस हमले को लेकर अभी तक किसी ने भी अपनी जिम्मेदारी नहीं ली है।
आपको जानकारी के लिए बता दें, 2013 में पेशावर में एक चर्च के बाहर आत्मघाती बम विस्फोट में सैकड़ों लोग मारे गए, जो पाकिस्तान में ईसाइयों पर अब तक का सबसे बड़े हमले में एक था। पाकिस्तान में , हिंदू, ईसाई , अहमदिया और शिया जैसे अल्पसंख्यकों को अक्सर परेशान किया जाता है और काफी सताया भी जाता है।