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पाकिस्तान के जिस 100 साल पुराने मंदिर पर कट्टरपंथियों ने किया था हमला, वहां तीन देशों के हिंदू तीर्थयात्री करेंगे दौरा

पीएचसी के संरक्षक डा रमेश कुमार वंकवानी ने अखबार को बताया यह दूसरी बार है जब परिषद ने दूसरे देशों के हिंदू तीर्थयात्रियों को आमंत्रित किया है ताकि वे खुद पाकिस्तान में एक सहिष्णु और बहुलवादी समाज के अस्तित्व को देख सकें।

By Neel RajputEdited By: Updated: Thu, 30 Dec 2021 02:01 PM (IST)
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पिछले साल एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी ने मंदिर तोड़ दिया था
इस्लामाबाद, एएनआइ। भारत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) व अमेरिका के 250 हिंदू श्रद्धालुओं का एक समूह इसी हफ्ते पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित टेरी मंदिर में पूजा-अर्चना करेगा। 100 वर्ष पुराने इस मंदिर में पिछले साल एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी ने तोड़फोड़ की थी। यहीं संत परमहंस जी महाराज का समाधि स्थल भी है, जिनकी मृत्यु वर्ष 1919 में हुई थी। वर्ष 1920 में यहां मंदिर का निर्माण हुआ था।स्थानीय समाचार पत्र डान की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान हिंदू परिषद (पीएचसी) के निमंत्रण पर तीनों देशों के हिंदू श्रद्धालु एक जनवरी को पेशावर पहुंचेंगे और करक जिले के टेरी में स्थित मंदिर में दर्शन करने जाएंगे।

पीएचसी के संरक्षक डा. रमेश कुमार वंकवानी ने अखबार को बताया, 'यह दूसरा मौका है जब परिषद ने दूसरे देशों के हिंदू श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया है, ताकि वे खुद पाकिस्तान में सहिष्णु व बहुलवादी समाज के अस्तित्व को समझ सकें।' पिछले महीने भारत, कनाडा, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया व स्पेन से 54 हिंदुओं ने देश का दौरा किया था। समूह का नेतृत्व परमहंस जी महाराज के पांचवें उत्तराधिकारी श्री सतगुरु जी महाराज ने किया।उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआइ-एफ) के स्थानीय मौलवियों के नेतृत्व में एक हजार से अधिक लोगों व स्थानीय मदरसा के छात्रों ने मंदिर पर हमला करते हुए उसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश के आदेश पर धर्मस्थल का जीर्णोद्धार कराया गया।

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2021 में खैबर पख्तूनख्वा सरकार को मंदिर में तोड़फोड़ करने में शामिल दोषियों से 3.3 करोड़ रुपये की वसूली करने का भी आदेश दिया था। प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद ने हिंदू समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त करने व देश के अन्य हिस्सों के श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए पिछले महीने तीर्थस्थल में दीवाली मनाई थी। वर्ष 1997 में तीर्थस्थल पर पहली बार हमला किया गया था, जिसमें यह स्थान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था।