पाकिस्तान में हिंदुओं ने भरा मंदिर को तोड़ने वालों पर लगा जुर्माना
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय ने दिसंबर 2020 में करक जिले में एक मंदिर में हमले में शामिल 11 मजहबी कट्टरपंथियों पर लगाए गए जुर्माने की राशि अदा की है। यह राशि आल पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के फंड से दी गई। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Mon, 22 Nov 2021 10:05 PM (IST)
नई दिल्ली, आइएएनएस। पाकिस्तान में हिंदू समुदाय ने दिसंबर 2020 में करक जिले में एक मंदिर में हमले में शामिल 11 मजहबी कट्टरपंथियों पर लगाए गए जुर्माने की राशि अदा की है। यह राशि आल पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के फंड से दी गई। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने खैबर पख्तूनख्वा में तोड़े गए मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए आरोपितों से 3.3 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश दिया था। इस हमले में शामिल स्थानीय कट्टरपंथी मंदिर के पुनर्निर्माण में अड़ंगे लगा रहे हैं।
हिंदू समुदाय ने मिसाल पेश की मंदिर का निर्माण सरकार की ओर से किया जा रहा है, लेकिन एक स्थानीय नेता और उसके समर्थक इस आधार पर विरोध में लगे हैं कि मंदिर का विस्तार किया जा रहा है। इन लोगों ने ठेकेदार को मंदिर के बरामदे के आगे एक दीवार बनाने के लिए भी कहा है। इसके विपरीत हिंदू समुदाय ने तोड़फोड़ में शामिल रहे लोगों पर लगे जुर्माने की राशि अदा कर के मिसाल पेश करने की कोशिश की है। इसके तहत जमायत उलेमी-ए-इस्लाम-फजल के जिला प्रमुख मौलाना मीर जकीम, मौलाना शरीफुल्ला और रहमत सलाम तथा आठ अन्य लोगों पर लगे जुर्माने की राशि (2,68000 रुपये प्रत्येक) अदा भी कर दी गई है।
हिंदू मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने किया था उद्घाटनपाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने पिछले दिनों पुनर्निर्मित टेरी मंदिर का लोकार्पण कर देश के कट्टरपंथी मुसलमानों को कड़ा संदेश दिया। उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में स्थित एक सदी पुराने इस मंदिर को पिछले साल कट्टरपंथियों ने आग के हवाले कर दिया था, तब मुख्य न्यायाधीश अहमद ने ही प्राधिकारों को मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था। खैबर पख्तूनख्वा के करक जिले में स्थित श्री परमहंस जी महाराज मंदिर में पिछले साल दिसंबर में कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी थी। भीड़ का नेतृत्व कुछ स्थानीय मौलवी कर रहे थे, जो जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल से जुड़े थे। तब चीफ जस्टिस अहमद ने प्राधिकारों को मंदिर का पुनर्निर्माण कराने और उसका पैसा हमलावरों से वसूलने का आदेश दिया था।