बदकिस्मत पाकिस्तान! कभी नहीं मिला अपना कार्यकाल पूरा करने वाला पीएम, देश में फिर दोहराया इतिहास
पाकिस्तान में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को भले ही खारिज कर दिया गया है लेकिन साथ ही नेशनल असेंबली को भी भंग कर देने के बाद अब दोबारा चुनाव का ही विकल्प बचा है। इसकी प्रक्रिया जल्द ही शुरू भी हो जाएगी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 03 Apr 2022 04:56 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर से इतिहास दोहराया गया है। रविवार को भले ही प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद हुआ वही जो विपक्ष भी चाहता था। नेशनल असेंबली में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के बाद ही प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया गया। साथ ही तीन माह के अंदर देश में दोबारा चुनाव कराने का भी जल्द ही एलान कर दिया जाएगा। ऐसे में इमरान खान केवल एक कार्यवाहक पीएम की ही भूमिका में रहे सकेंगे। लेकिन क्योंकि नेशनल असेंबली में रविवार को जो कुछ हुआ उसके बाद विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, तो ऐसे में यदि इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बर्खास्त कर दिया जाता है तो फिर हालात जरूर बदल सकते हैं।
बदकिस्मत पाकिस्तान बहरहाल, हर सूरत में इमरान खान देश के उन प्रधानमंत्रियों में जरूर शामिल हो गए हैं जो कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। बदकिस्मती से देश में ऐसा कोई भी पीएम नहीं हुआ जिसने ऐसा कर दिखाया हो। पाकिस्तान का यही इतिहास भी रहा है। इस देश को कभी कोई ऐसा पीएम नहीं मिला जिसने अपने कार्यकाल के पांच वर्ष पूरे किए हों। आजाद होने के बाद इस देश ने स्थिर सरकार के रूप में तानाशाह फौजी शासकों को ही देखा है। जिस देश को धर्म के आधार पर बनाया गया वहां के लोग और वहां के राजनेता कभी उसको स्थिर सरकार नहीं दे सके। इसको एक विडंबना ही कहा जाएगा। इनमें से कई नाम तो ऐसे हैं जिनका नाम भी बेहद कम लोगों ने सुना होगा।
पाकिस्तान के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि वर्ष 2000 के बाद नौ प्रधानमंत्री बने और इनका कार्यकाल एक वर्ष से दो वर्ष के बीच ही खत्म हो गया। बीते एक दशक में ही पाकिस्तान ने छह प्रधानमंत्रियों को आते और जाते देखा है। इमरान खान नया पाकिस्तान बनाने के वादे के साथ सत्ता पर काबिज हुए थे। लेकिन समय के साथ उनकी छवि पूरी तरह से धूमिल हो गई।एक नजर पूर्व के प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल पर:-
- शाहिद खक्कान अब्बासी अगस्त 2017 से मई 2018 तक देश के पीएम रहे थे।
- नवाज शरीफ 2013 से 2017 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। उन्हें देश की सर्वोच्च अदालत ने अयोग्य घोषित किया था, जिसके बाद उन्हें पद से हटना पड़ा था।
- मीर हजार खान खोसो पाकिस्तान के केयरटेकर पीएम थे। उनका कार्यकाल 25 मार्च से 5 जून 2013 तक रहा था। देश की फेडरल शरियत अदालत के चीफ जस्टिस भी रहे थे।
- राजा परवेज अशरफ जो कि पाकिस्तान के 19वें प्रधानमंत्री नियुक्त हुए थे, का कार्यकाल 22 जून 2012 से 16 मार्च 2013 तक रहा था।
- सैयद यूसुफ रजा गिलानी को भी देश की सर्वोच्च अदालत ने अयोग्य घोषित किया था, जिसके बाद उन्हें पीएम पद की कुर्सी को छोड़ना पड़ा था। उनका कार्यकाल 25 मार्च 2008 से 26 अप्रेल 2012 तक रहा था।
- शौकत अजीज जो कि एक बैंकर और फाइनेंसर थे, 20 अगस्त 2004 से 15 नवंबर 2007 तक पाकिस्तान के 17वें पीएम रहे थे।
- चौधरी शुजात हुसैन 30 जून 2004 से अगस्त 2004 तक देश के 16वें प्रधानमंत्री की भूमिका में रहे थे।
- जफरुल्लाह खान जमाली नवंबर 2002 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री के पद पर रहे थे। जमाली पाकिस्तान में सबसे कम समय तक रहने वाले देश के पांचवें पीएम भी हैं।
- नवाज शरीफ 1997 से 1999 तक पीएम रहे थे। उनकी सरकार का तख्ता पलट कर तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। इसके बाद उन्हें देश निकाला दे दिया गया था। एक दशक तक यूएई में निर्वासित जीवन बिताने के बाद वो 2011 में स्वदेश वापस आए थे। नवाज पीएमएल-एन से थे।
- मलिक मिराज खालिद नवंबर 1996 से फरवरी 1997 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। वो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से थे।
- बेनेजीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की पीएम बनीं लेकिन दोनों ही बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। पहली बार बेनेजीर 1988 से 1990 तक और दूसरी बार 1993 से 1996 तक देश की पीएम रही थीं। बेनेजीर पाकिस्तान की पहली महिला पीएम भी थीं। बेनेजीर की हत्या एक चुनावी रैली के दौरान 27 दिसंबर 2007 को कर दी गई थी।
- नवाज शरीफ 1990 से 1993 तक देश के पीएम पद पर काबिज रहे थे।
- जुल्फीकार अली भुट्टो देश के नौवें प्रधानमंत्री रहे थे। उनका पीएम का कार्यकाल 1973 से 1977 तक रहा था। इसके अलावा भुट्टो देश के राष्ट्रपति भी रह चुके थे। उन्होंने ही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की स्थापना की थी जिसने देश की पहली ऐसी सरकार दी थी जिसने पांच वर्ष पूरे किए थे। हालांकि इस दौरान पीएम के चेहरे जरूर बदलते गए थे। उनका अंत भी बेहद दुखद हुआ था। तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जिया उल हक ने उनकी सरकार का तख्ता पलट कर उन्हें कई आरोपों के तहत जेल में डाल दिया था। इसके बाद उन्हें रावलपिंडी की जेल में फांसी दे दी गई थी।
- लियाकत अली खान देश के ऐसे पीएम रहे जिनकी हत्या 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी में एक रैली के दौरान कर दी गई थी। लियाकत देश के पहले प्रधानमंत्री भी थे। उनका कार्यकाल 1947 से 1951 तक रहा था।
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