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Pakistan: इमरान खान की मुश्किलें नहीं हो रही कम, गोपनीयता अधिनियम के तहत मामला दर्ज; हो सकती है मौत की सजा

रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान खान पर धारा-5 के तहत अपराध साबित होने पर दो से 14 साल तक की कैद की सजा हो सकती है और कुछ मामलों में मौत की सजा भी हो सकती है। गोपनीय राजनयिक दस्तावेज का हवाला देते हुए खान अमेरिका पर उनकी सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाते रहे हैं।

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Sat, 19 Aug 2023 06:56 AM (IST)
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गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक करने के आरोप में इमरान पर दर्ज हुआ मुकदमा।

इस्लामाबाद, एएनआई। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर सिफर मामले के संबंध में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम 1923 के तहत मामला दर्ज किया गया है। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की आतंकवाद-रोधी शाखा ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिन्हें पिछले साल अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के बाद पद से हटा दिया गया था।

इमरान खान को हो सकती है मौत की सजा

जियो न्यूज ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि पीटीआई प्रमुख पर हाल ही में संशोधित अधिनियम की धारा 5 के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, अधिकारियों ने एफआईआर की एक प्रति साझा करने में अनिच्छा दिखाई। जियो न्यूज के अनुसार, धारा 5 के तहत अपराध, अगर अदालत में साबित हो जाते हैं, तो दो से 14 साल तक की कैद की सजा हो सकती है और कुछ मामलों में मौत की सजा भी हो सकती है।

बता दें मामला पिछले साल मार्च का है जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष ने एक पत्र पेश कर दावा किया था कि यह उनकी सरकार को गिराने के लिए अमेरिका द्वारा समर्थित अंतरराष्ट्रीय साजिश का सबूत है। इससे पहले बुधवार को, संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की एक संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) ने केबल गेट प्रकरण से संबंधित एक मामले में अटक जेल के अंदर पूर्व इमरान खान से पूछताछ की।

इमरान पहले ही काट रहे है तीन साल की सजा

इस बीच, अपदस्थ प्रधानमंत्री अटक जेल में सलाखों के पीछे हैं, क्योंकि इस्लामाबाद की एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 2018 से 2022 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त तोशखाना (राज्य डिपॉजिटरी) उपहारों की आय को छुपाने का दोषी पाया और सजा सुनाई। उन्हें तीन साल की जेल और 1,00,000 पीकेआर का जुर्माना लगाया गया।

इसके बाद, पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद सार्वजनिक पद संभालने से पांच साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया।