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Human Rights Violation: पाकिस्तान में मानवाधिकार हनन की घटनाओं में वृद्धि, अल्पसंख्यकों की स्थिति खराब, जानिए क्या है पूरा मामला

पिछले चार वर्षों में पाकिस्तान में 14456 महिलाओं पर हमला किया गया। वर्ष 2018 में दुष्कर्म के 4326 मामले सामने आए उसके बाद 2019 में 4377 दुष्कर्म के मामले 2020 में 3887 मामले और 2021 में 1866 मामले सामने आए।

By Shashank_MishraEdited By: Updated: Wed, 08 Jun 2022 08:46 PM (IST)
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27 मई को एक युवती के साथ चलती ट्रेन में रेलवे कर्मचारियों द्वारा दुष्कर्म किया गया था। (फोटो-एएनआइ)
इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड के अनुसार महिलाओं, अल्पसंख्यकों, बच्चों और मीडियाकर्मियों की गंभीर स्थिति एक नए निचले स्तर पर पहुंच गयी हैं। पाकिस्तान में महिलाओं के लिए तेजी से घटती स्थिति का प्रमाण देते हुए कहा जा सकता है कि 27 मई को एक युवती के साथ चलती ट्रेन में रेलवे कर्मचारियों द्वारा दुष्कर्म किया गया था।

और जबकि सरकार ने खुद को महिलाओं के अधिकारों के चैंपियन के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है। हर साल हजारों महिलाओं की हत्या, अपहरण और मारपीट की जाती है। सजा की दर बेहद कम है। यहां तक ​​कि सरकारी रिपोर्टें भी गंभीर स्थिति की ओर इशारा करती हैं।

मानवाधिकार मंत्रालय की एक रिपोर्ट में हुआ खुलासा

मानवाधिकार मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार वर्षों में पाकिस्तान में 14,456 महिलाओं पर हमला किया गया। वर्ष 2018 में दुष्कर्म के 4,326 मामले सामने आए, उसके बाद 2019 में 4,377 दुष्कर्म के मामले, 2020 में 3,887 मामले और 2021 में 1,866 मामले सामने आए। हालांकि, इससे भी अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि इनमें से केवल 4 प्रतिशत मामलों में ही दोष सिद्ध हुआ है।

यूएनडीपी की रिपोर्ट में पाकिस्तान 153 वें स्थान पर

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट 2020 ने पाकिस्तान को उन 75 देशों की सूची में सबसे ऊपर रखा, जहां के लोग महिला विरोधी पूर्वाग्रह रखते हैं। वर्ष 2021 के दौरान, पाकिस्तान विश्व आर्थिक मंच की जेंडर गैप रिपोर्ट में 156 देशों में से 153 वें स्थान पर रहा, जो महिला राजनीतिक सशक्तिकरण, आर्थिक भागीदारी, शैक्षिक प्राप्ति और स्वास्थ्य पर विचार करता है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत बुरी

हाल में ही दो अल्पसंख्यक सिख दुकानदारों, सरदार सलजीत सिंह और रंजीत सिंह पर हमले हुए थे, यह घटना 15 मई को पेशावर में सरबंद के बाटा ताल बाजार में हुइ थी। जिसमें इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अल्पसंख्यकों की आबादी में काफी कमी आई है। अल्पसंख्यकों को राज्य द्वारा व्यवस्थित रूप से हाशिए पर रखा जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनसीएचआर)की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में गैर-मुसलमानों के लिए रोजगार की संभावनाएं न के बराबर हैं। सरकारी नौकरियों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित लगभग आधे पद खाली रहते हैं और जो पद भरे जाते हैं।

उनमें से 80 प्रतिशत गैर-मुसलमानों को सफाई कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया जाता है, जिसके लिए उन्हें कम भुगतान किया जाता है। बता दें कि गैर-मुस्लिम सफाई कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरणों के बिना खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और दुर्घटना या मृत्यु के मामले में बहुत कम मुआवजा दिया जाता है।

पाकिस्तान में हो रहा जबरन धर्म परिवर्तन

नाबालिग हिंदू, सिख और ईसाई लड़कियों का विवाह-रूपांतरण एक आम बात हो गई है। पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी अधिकार नहीं है। दूसरों की आवाजों को क्रूरता से दबा दिया जाता है। विभिन्न वैश्विक निकायों ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि पाकिस्तान से भी बच्चों के खिलाफ मामले बढ़ रहे हैं।

लाहौर स्थित एक गैर सरकारी संगठन साहिल ने कहा कि पंजाब में नाबालिगों को अक्सर हमले का निशाना बनाया जाता है। यह पता चला कि 2021 के दौरान पूरे पंजाब में 3,852 बच्चों को छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न का लक्ष्य बनाया गया था और कम से कम 40 पीड़ितों की बाद में हत्या कर दी गई थी।