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पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ भी अयोग्य करार

इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट ने पाक विदेश मंत्री ख्‍वाजा आसिफ को संसदीय सदस्‍य के तौर पर अयोग्‍य करार दिया है।

By Monika MinalEdited By: Updated: Thu, 26 Apr 2018 07:23 PM (IST)
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पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ भी अयोग्य करार

इस्लामाबाद, प्रेट्र/रायटर : पाकिस्तान में सत्तारूढ़ पीएमएल-एन पार्टी को इस साल होने वाले आम चुनाव से पहले एक और बड़ा झटका लगा है। इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के वर्क परमिट की जानकारी छुपाने पर विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ को गुरुवार को संसद की सदस्यता के अयोग्य करार दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी प्रमुख नवाज शरीफ को अयोग्य करार दिया था। जिसकी वजह से उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।

हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने सर्वसम्मिति से दिए फैसले में कहा, '62 वर्षीय आसिफ ने ईमानदारी नहीं दिखाई। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 62 (1)(एफ) के तहत अयोग्य करार दिया जाता है।' यह फैसला इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के नेता उस्मान डार की अर्जी पर आया है। डार ने आरोप लगाया था कि आसिफ ने चुनाव में दाखिल हलफनामे में यूएई के वर्क परमिट और वेतन के बारे में जानकारी जाहिर नहीं की थी। इसलिए वह संसद सदस्यता के योग्य नहीं हैं। डार 2013 के आम चुनाव में आसिफ के खिलाफ चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें हार का करना पड़ा था। इस फैसले के बाद आसिफ जीवनभर सरकार या पार्टी में किसी पद पर नहीं रह पाएंगे।

शरीफ भी ठहराए जा चुके हैं अयोग्य

पनामा पेपर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 28 जुलाई को संविधान के इसी अनुच्छेद के तहत नवाज शरीफ को संवैधानिक पद के अयोग्य करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 13 अप्रैल को साफ कर दिया था कि अयोग्य करार दिया जाना आजीवन होता है।

फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती

शरीफ के करीबी आसिफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख नेताओं में हैं। इस फैसले पर उन्होंने कहा, मैंने कोई जानकारी नहीं छुपाई थी। फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दूंगा।

सलमान की सजा पर उठाए थे सवाल

विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने काले हिरण के शिकार मामले में अभिनेता सलमान खान को सजा सुनाए जाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंेने कहा था कि सलमान को मुसलमान होने के चलते पांच साल कैद की सजा दी गई। अगर उनका संबंध सत्ताधारी दल से होता तो कम सजा मिलती।