ये है मुशर्रफ का पाकिस्तान की सत्ता में लौटने का मास्टर प्लान
भविष्य में पाकिस्तान में आतंकी सीनेट और सरकार में दिखाई दे सकते हैं। मुशर्रफ के बयान भी अब इसी तरफ इशारा कर रहे हैं।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। पाकिस्तान को लेकर भारत के रक्षा और विदेश मामलों के जानकार जिन बातों का अंदेशा जताते आए हैं अब वही बातें हकीकत बनने की तरफ अग्रसर होती दिखाई दे रही हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने आतंकी हाफिज सईद से राजनीतिक गठबंधन करने से परहेज न करने की बात कही है। इतना ही नहीं वह पहले ही इस बात को कह चुके हैं कि वह न सिर्फ हाफिज सईद बल्कि लश्कर ए तैयबा के सबसे बड़े समर्थक हैं। हम आपको बता दें कि हाल ही में मुशर्रफ ने 23 पार्टियों से गठजोड़ कर पाकिस्तान आवामी इत्तेहाद बनाई है। जानकार मानते हैं कि भविष्य में पाकिस्तान में आतंकी सीनेट और सरकार में दिखाई दे सकते हैं। मुशर्रफ के बयान भी अब इसी तरफ इशारा कर रहे हैं।
भविष्य में पाक की सत्ता पर काबिज होंगे आतंकी
रक्षा और विदेश जानकार पहले ही इस बात का अंदेशा जता चुके हैं कि पाकिस्तान में आने वाले समय में आतंकियों का राज स्थापित हो सकता है। विदेश मामलों के जानकार कमर आगा ने दैनिक जागरण से बात करते हुए साफतौर पर कहा कि आने वाले समय में न सिर्फ हाफिज सईद बल्कि इस जैसे कई दूसरे आतंकी संगठन और आतंकी पाकिस्तान की सत्ता में दिखाई दे सकते हैं। उनका कहना है कि सईद पहले ही अपनी राजनीतिक पार्टी बना चुका है। वहीं नवाज शरीफ और उनकी पार्टी देश में लोकतंत्र की समर्थक रही है। यही वजह है कि मुशर्रफ समेत इन तमाम लोगों को इस तरह के लोग और पार्टियां पसंद नहीं हैं। दूसरी तरफ देश के कट्टरवादी धार्मिक संगठन भी नवाज सरीखी राजनीतिक पार्टियों को पसंद नहीं करते हैं। आने वाले समय में इनकी ताकत बढ़ेगी और दूसरी राजनीतिक पार्टियां हाशिये पर चली जाएंगी। ये आतंकी और इनके संगठन किसी को धमकाकर तो किसी को समझाकर चुप करा देंगे।
आतंकियों के दम पर सत्ता हथियाने की चाहत
अब पूर्व जनरल मुशर्रफ इसी आतंकी की मदद से पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज होने का सपना संजोए हुए हैं। खुद को मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सबसे बड़ा समर्थक बताने वाले पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपने नापाक मंसूबे जाहिर कर दिए हैं। मुशर्रफ का कहना है कि वह आतंकी संगठन जमात-उद-दावा और उसके सरगना हाफिज सईद के साथ राजनीतिक गठजोड़ के लिए तैयार हैं। वह यह भी साफ कर चुके हैं कि कश्मीर में लश्कर द्वारा चलाए जा रहे अभियान के भी वह बड़े समर्थक हैं। पूर्व सैन्य शासक मुशर्रफ ने एक इंटरव्यू में माना है कि गठजोड़ को लेकर फिलहाल हाफिज से कोई बात नहीं हुई है लेकिन यदि वह ऐसा चाहेंगे वह उसका स्वागत करेंगे। हाफिज को वह अपनी ही तरह का मानते हैं।
पाकिस्तान में कम हुई है मुशर्रफ की साख
भारत के पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर का मानना है कि पाकिस्तान की सत्ता में परवेज मुशर्रफ की पहले जैसी धाक नहीं है। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अब मुशर्रफ की बात अब कोई सुनने को तैयार नहीं होता है। लेकिन आतंकी हाफिज सईद का समर्थन कर मुशर्रफ ने देश की सत्ता में वापस लौटने का एक बड़ा दांव जरूर खेला है। हैदर का कहना है कि मुशर्रफ के ताजा बयानों का पाकिस्तान की राजनीति में कुछ असर जरूर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि मुशर्रफ ने जिस तरह से आतंकी के समर्थन में खुलकर बयानबाजी की है उससे एक बात साफतौर पर झलकती है कि पाकिस्तान की सत्ता में उनकी पकड़ अब कम हो चुकी है। अब वह हाफिज के दम पर लौटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इमरान खान की पार्टी भी मुशर्रफ से हाथ मिला लेती है तो इसका असर व्यापक तरीके से दिखाई दे सकता है।
अंतरराष्ट्रीय घोषित आतंकी है हाफिज सईद
यहां पर ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि जिससे मुशर्रफ ने गठजोड़ करने की बात कही है वह अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित है और उस पर अमेरिका ने करीब एक करोड़ डॉलर (करीब 65 करोड़ रुपये) का इनाम रखा है। प्रतिबंधित संगठन के पक्ष में बयान को लेकर अंतरराष्ट्रीय अंजाम भुगतने के बारे में पूछे जाने पर मुशर्रफ ने कहा कि यह हमारा देश है। हम देश की आतंरिक स्थितियों से अवगत हैं। मैंने हाफिज सईद के बारे में बात की थी और मैं गर्व के साथ यह कहूंगा कि दोनों लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा पाकिस्तान के अच्छे संगठन हैं।
दस माह की नजरबंदी के बाद रिहा हुआ है सईद
इतना ही नही हाफिज को कुछ ही दिन पहले कोर्ट के फैसले के मद्देनजर दस माह की नजरबंदी के बाद रिहा किया गया है। इसके अलावा हाफिज सईद ने मिल्ली मुस्लिम लीग के नाम से एक राजनीतिक पार्टी भी बनाई थी जिसको पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मान्यता देने से इंकार कर दिया था। इसको लेकर हाफिज ने यहां तक कहा था कि उनकी पार्टी को किसी मान्यता की जरूरत नहीं है। इसके बाद उसने लाहौर की सीट पर हुए उपचुनाव में अपनी पार्टी के समर्थन में एक उम्मीद्वार भी खड़ा किया था। यह इस चुनाव में यह दूसरे नंबर पर रहा था। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पत्नी कुलसुम नवाज ने जीत हासिल की थी। हाफिज खुद भी अगले साल होने वाले नेशनल असेंबली के चुनाव में उतरने का एलान कर चुका है।
मुशर्रफ की पाकिस्तान आवामी इत्तेहाद में ये पार्टियां हैं शामिल
आल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (APML), पाकिस्तान आवामी तहरीक सुन्नी इत्तेहाद काउंसिलए मजलिस ए वहादतुल मुस्लिमीन, पाकिस्तान सुन्नी तहरीक, मुस्लिम कांफ्रेंस (कश्मीर), पीएमएल-जुनेजो, पीएमएन – काउंसिल, पीएमल-नेशनल, आवामी लीग, पाक मुस्लिम एलाइंस, पाकिस्तान मजदूर इत्तेहाद, कंजरवेटिव पार्टी, मुजाहिर इत्तेहाद तहरीक, पाकिस्तान इंसानी हकूक पार्टी, मिल्लत पार्टी, जमियत उलेगा पाकिस्तान (नियाजी ग्रुप), आम लोग पार्टी, आम आदमी पार्टी, पाकिस्तान मसावत पार्टी, पाकिस्तान माइनोरिटी पार्टी, जमियत मशाइख पाकिस्तान, सोशल जस्टिस डेमोक्रेटिक पार्टी।
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