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Kargil War: कारगिल युद्ध पर पाकिस्तान का पहली बार कबूलनामा, 25 साल बाद मानी साजिश रचने की बात

Kargil War पाकिस्तान ने भारत के साथ हुए कारगिल युद्ध को लेकर पहली बार साजिश रचने की बात मानी है और युद्ध में सेना की प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार किया है। गौरतलब है कि इससे पहले पाक हमेशा कारगिल में किए गए घुसपैठ में पाकिस्तान की भागीदारी से हमेशा इन्कार किया है। पाकिस्तान ने दावा किया था कि यह कश्मीर के स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा की गई कार्रवाई थी।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 07 Sep 2024 09:16 PM (IST)
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पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध में सेना की प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार किया है। (File Image)

आईएएनएस, इस्लामाबाद। ढाई दशकों तक दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के बाद आखिरकार पाकिस्तान ने कारगिल की साजिश रचने की बात मान ली है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर ने भारत के खिलाफ 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार किया है।

शुक्रवार को रक्षा दिवस पर अपने भाषण के दौरान मुनीर ने भारत के साथ हुए तीन युद्धों के साथ-साथ कारगिल का भी जिक्र किया और मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। यह पहला अवसर है, जब पाकिस्तान के किसी सेना प्रमुख ने कारगिल युद्ध में अपने सैनिकों की प्रत्यक्ष भागीदारी को स्वीकार किया है।

शेखी बघारते हुए बता दी सच्चाई

परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ जैसे पिछले सेना प्रमुख और राजनीतिक नेतृत्व ने कारगिल में किए गए घुसपैठ में पाकिस्तान की भागीदारी से हमेशा इन्कार किया है। रावलपिंडी स्थित सैन्य मुख्यालय में रक्षा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में जनरल मुनीर ने शेखी बघारते हुए कहा कि निश्चित रूप से पाकिस्तान एक शक्तिशाली और बहादुर राष्ट्र है। यह स्वतंत्रता के मूल्य को समझता है और जानता है कि इसे कैसे बनाए रखना है। चाहे यह भारत और पाकिस्तान के बीच 1948, 1965, 1971 की लड़ाई हो या कारगिल संघर्ष। हजारों लोग देश की सुरक्षा के लिए कुर्बान हो गए।

बताते चलें कि इन सभी लड़ाइयों में पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा था। अब तक पाकिस्तान कारगिल युद्ध में अपनी संलिप्तता से इन्कार करता रहा है। पाकिस्तान ने दावा किया था कि यह कश्मीर के 'स्वतंत्रता सेनानियों' द्वारा की गई कार्रवाई थी। कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान के सेना प्रमुख रहे जनरल परवेज मुशर्रफ ने हमेशा कहा कि कारगिल अभियान एक सफल स्थानीय कार्रवाई थी।

मुशर्रफ ने किया था इन्कार

एक साक्षात्कार के दौरान मुशर्रफ ने कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को विश्वास में नहीं लिया गया था और भारत के साथ अस्थिर नियंत्रण रेखा पर सशस्त्र बलों द्वारा लिए गए कई निर्णयों के लिए सेना प्रमुख की मंजूरी की भी आवश्यकता नहीं थी। कारगिल की लड़ाई ने भारत और पाकिस्तान को परमाणु युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया था। पाकिस्तान का कहना है कि अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद उसने युद्ध से हाथ खींच लिया था, जबकि भारत का कहना है कि हिमालय की चोटियों पर हुए इस युद्ध में उसे निर्णायक जीत मिली है।

क्या था कारगिल युद्ध?

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कश्मीर के कारगिल जिले में सशस्त्र संघर्ष हुआ था। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। लगभग 30 हजार भारतीय सैनिक और पांच हजार घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापस जाने को मजबूर किया। यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भारत ने इस युद्ध में विजय प्राप्त की थी।