Pervez Musharraf का कार्यकाल इन अहम घटनाओं के लिए रहेगा यादगार
1999 के कारगिल युद्ध के बाद से परवेज मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। इस युद्ध के बाद उन्होंने नवाज शरीफ के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी। मुशर्रफ के कार्यकाल में कई अहम घटनाएं हुई हैं।
By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariUpdated: Sun, 05 Feb 2023 05:14 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का 79 साल की उम्र में निधन हो गया है। मुशर्रफ कई दिनों से अमीलाईडोसिस नाम की बीमारी से परेशान थे जिसके बाद दुबई में आज सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली।
1999 के कारगिल युद्ध के दौरान परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान आर्मी चीफ थे। माना जाता है कि कारगिल ऑपरेशन का खाका उन्होंने ही तैयार किया था। यह प्लानिंग उसी दौरान कर ली गई थी जब भारतीय (मेघदूत) ने सियाचिन पर कब्जा किया था। उनके कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान में कई अहम घटनाएं हुई थी, जिसके बारे में हम आपको इस खबर में बताएंगे।
1999 का तख्ता पलट
1999 के कारगिल युद्ध के बाद मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलट दिया था। हालांकि, इन दोनों के बीच तनाव की खबरें तो पहले ही उठने लगी थीं। सितंबर आते-आते सैन्य अधिकारियों के बीच नवाज शरीफ का तख्ता पलटने के लिए बैठकें होने लगी थी। इस बीच श्रीलंकाई सेना के एक समारोह से वापस लौटते समय मुशर्रफ के विमान को कराची एयरपोर्ट पर लैंड करने से रोक दिया गया। दरअसल, यहां नवाज ख्वाजा जियाउद्दीन को मुशर्रफ की जगह सेना प्रमुख बनाने का फैसला किया जा चुका था।इस बात का जानकारी मिलते ही रावलपिंडी से मुशर्रफ के वफादार स्थानीय कमांडर्स ने अपनी सेना को इस्लामाबाद की तरफ बढ़ा दिया। इससे पहले की नवाज शरीफ अपना दूसरा दांव चलते, मुशर्रफ के सैनिकों ने उनके ऑफिस और विमान को घेर लिया। इसके बाद 13 अक्टूबर को मुशर्रफ ने देश के नाम एक रिकॉर्डेड मैसेज जारी किया था।
नवाज शरीफ की ट्रायल
नवाज शरीफ को एक सरकारी गेस्ट हाउस में नजरबंद करवा दिया गया था। उनपर मुशर्रफ के विमान को कराची एयरपोर्ट पर ना उतरने देने और देशद्रोह, हत्या का प्रयास जैसे कई आरोप लगाकर मुकदमा चलाया गया। माना जाता है कि उस समय शरीफ का हाल भी जुल्फिकार अली भुट्टो की तरह करने की प्लानिंग थी। कोर्ट का फैसला आना तय हो गया, तो उसके ठीक पहले सऊदी अरब और अमेरिका के दबाव के चलते शरीफ को देश निकाला दिया गया।अमेरिका का समर्थन
2001 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद अमेरिका बदला लेने के लिए तैयार था। जब तालिबान के खिलाफ अमेरिका ने जंग छेड़ी, तो पाकिस्तानी जमीन को बेस के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। उस दौरान मुशर्रफ ने अमेरिका का खुलकर समर्थन किया था।