...जब अपने ही बुने जाल में फंसा पाकिस्तान, आतंकवादियों ने पेशावर के स्कूल में खेला खूनी खेल
पाकिस्तान के पेशावर में 16 दिसंबर 2014 की तारीख याद आते ही आज भी कई आंखें नम हो जाती है। आतंकवादियों ने 150 मासूम बच्चों को मौत के घाट उतार दिया था। आतंकियों को पनाह देने वाला देश खुद एक दिन इसका शिकार बन गया।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Thu, 17 Dec 2020 12:21 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। पाकिस्तान के पेशावर में 16 दिसंबर, 2014 की तारीख याद आते ही आज भी कई आंखें नम हो जाती है। पाकिस्तान के इतिहास में यह तारीख मासूम स्कूली बच्चों पर हुए आतंकी हमले की दुखद घटना के साथ दर्ज है। पेशावर के एक स्कूल में आतंकवादिों ने 150 मासूम बच्चों को मौत के घाट उतार दिया था। तालिबान की पाकिस्तानी इकाई तहरीक-ए-तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। मानवाता पर लगा यह दाग वर्षों तक लोगों को सालता रहेगा। उस वक्त पाकिस्तान में नवाज शरीफ की निर्वाचित सरकार थी। नवाज ने इस आतंकी घटना के बाद तहरीक ए तालिबान के खिलाफ आर-पार की जंग का ऐलान कर दिया।याद रहे यह वही तालिबान है, जिसको कभी पाकिस्तान के हाथों की कठपुतली कहा जाता था। भारत में आतंकवाद के जरिए खूनी खेल खेलने वाला पाकिस्तान खुद अपने ही जाल में फंस गया। पाकिस्तान को शायद इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि आतंकियों को पनाह देने वाला देश खुद एक दिन इसका शिकार बन जाएगा।
ऐसे वजूद में आया तहरीक-ए-तालिबान
इस हमले के बाद तहरीक-ए-तालिबान दुनिया की नजरों में आ गया। इस हमले की पूरी दुनिया में घोर निंदा हुई। उसके बाद से यह सवाल उठने लगा कि आखिर तहरीक-ए-तालिबान कौन है ? इस आतंकवादी संगठन का मकसद क्या है ? इस आतंकवादी संगठन की जड़ कहां है ? एक साथ तमाम सवाल खड़े होने लगे। दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) उत्तरी वजीरिस्तान में फैले आतंकवादियों को एक गुट है। इसे आमतौर पर पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है। अमेरिका के 9/11 हमले के बाद अमेरिकी सेना ने जब अल कायदा के खिलाफ कार्रवाई के लिए सैन्य अभियान चलाया तो कई आतंकवादी गुट अफगानिस्तान से भागकर पाकिस्तान के कबायनी इलाकों में छिप गए। इन आतंकियों के खिलाफ जब पाकिस्तान ने कार्रवाई करनी चाही तो स्वात घाटी में पाक सेना का विरोध शुरू हो गया। तहरीक-ए-तालिबान अफगानिस्तान से भाग कर पाकिस्तान आए आतंकवादी संगठनों में से एक था।
आतंकवादी गुटों से जूझ रहा है पाकिस्तानजून, 2014 में कराची हवाई अड्डे पर तालिबान के आतंकियों ने हमला किया तब पाकिस्तान सन्न रह गया। इस हमले के बाद उत्तरी वजीरिस्तान के कबायली इलाके में सेना ने आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन जर्ब-ए-अब्ज शुरू किया। पाकिस्तान का दावा है कि इस अभियान में उसने अब तक एक हजार से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया है। पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत ने कराची एयरपोर्ट हमले के मामले में तहरीक-ए-तालिबान के प्रमुख मुल्ला फजलुल्ला समेत नौ अन्य के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।
पाक ने लगाया तहरीक-ए-तालिबान पर प्रतिबंधपाकिस्तान यह दावा करता रहा है कि उसने तहरीक-ए-तालिबान पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद सात आतंकवादी संगठन इसका हिस्सा बन चुके हैं। अमेरिका ने 1 सितंबर 2010 को इस संगठन को खतरनाक आतंकी गुटों की सूची में शामिल किया। ब्रिटेन ने 18 जनवरी 2011 को इसे प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाला। कनाडा ने 5 जुलाई 2011 को काली सूची में डाला।