WHO की चौंकाने वाली रिपोर्ट : खतना से महिलाओं पर प्रतिकूल असर, इलाज पर 1.4 अरब डॉलर खर्च
WHO ने फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन FGM पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में जननांगों का खतना को लेकर गहरी चिंता प्रकट की गई है।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sat, 08 Feb 2020 09:02 AM (IST)
संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन FGM पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में जननांगों का खतना को लेकर गहरी चिंता प्रकट की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इससे महिलाओं की सेहत पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए दुनिया भर में 14 अरब डॉलर का बोझ पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल 20 करोड़ से अधिक महिलाओं और बच्चियों को इसका सामना करना पड़ता है। आमतौर पर ऐसा जन्म से 15 वर्ष के बीच किया जाता है और इसका उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है, जिसमें संक्रमण, रक्तस्राव या सदमा शामिल है। इससे ऐसी असाध्य बीमारी हो सकती है, जिसका बोझ जिंदगी भर उठाना पड़ता है।
मानवाधिकारों का भयानक दुरुपयोग आंकड़ों के अनुसार, कई देश अपने कुल स्वास्थ्य व्यय का करीब 10 फीसद हर साल फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन के इलाज पर खर्च करते हैं। कुछ मध्य एशिया या अफ्रीकी देशों में यह आकंड़ा 30 फीसद तक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के यौन, प्रजनन स्वास्थ्य व अनुसंधान विभाग के निदेशक इयान आस्क्यू ने कहा कि FGM न सिर्फ मानवाधिकारों का भयानक दुरुपयोग है, बल्कि इससे लाखों लड़कियों और महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को उल्लेखनीय नुकसान पहुंच रहा है। इससे देशों के कीमती आर्थिक संसाधन भी नष्ट हो रहे हैं।
मिस्र ने 2008 में FGM को प्रतिबंधित कियायूनिसेफ के अनुसार, मिस्र ने 2008 में FGM को प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन ये अभी भी वहां और सूडान में प्रचलित है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने बताया है कि इससे करीब एक-चौथाई पीड़ितों या करीब 5.2 करोड़ महिलाओं और बच्चियों को स्वास्थ्य देखभाल नहीं मिल पाती है। मिस्र में पिछले महीने 12 साल की एक लड़की की मौत ने FGM के खतरों को एक बार फिर उजागर किया। संगठन ने कहा कि इसको रोकने और इसके होने वाली तकलीफ को खत्म करने के लिए और अधिक प्रयास की जरूरत है।
26 देशों ने इस प्रथा के खिलाफ कानून बनायाडब्लूएचओ की वैज्ञानिक डॉ क्रिस्टीना पेलिटो ने कहा कि कई मुल्कों ने इस विकृति को समाप्त करने के लिए कानून भी बनाया है। 1997 में अफ्रीका और मध्य पूर्व के 26 देशों ने इस प्रथा कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया। पेलिटो ने कहा कि 33 मुल्कों में यह प्रथा धड़ल्ले से चल रही है। यूनिसेफ का कहना है कि यह चिंताजनक है कि पिछले दो दशकों में FGM की संख्या में बेहद इजाफा हुआ है। यह करीब-करीब दोगुना हो गया है।