Pakistan Crisis: अनियमित नीतियों से परेशान मल्टीनेशनल कंपनियां अब पाकिस्तान छोड़ने का कर रही हैं विचार
कई ग्लोबल कंपनियां पाकिस्तान में अब अपना परिचालन बंद करने के बारे में सोच रही हैं। पाकिस्तान की सरकार और एसबीपी के रवैया देखकर कंपनियां अब देश से बाहर जाने के बारे में विचार कर रही है। कंपनियों ने अपने ऑपरेशन में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Wed, 19 Apr 2023 08:38 AM (IST)
इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान में चल रहे विदेशी मुद्रा संकट के बीच यहां काम करने वाली कंपनियां सरकार और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की अनियमित नीतियों से परेशान हैं। संकट ऐसा है कि यहां मल्टीनेशनल कंपनियों के संचालन में परेशानी हो रही है।
आर्थिक संकट के बीच कंपनियों को मुद्रा ट्रांसफर करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ महीनों के दौरान कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने अपने रूटीन ऑपरेशन को लेकर काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
अब खबर ये है कि कई ग्लोबल कंपनियां पाकिस्तान में अब अपना परिचालन बंद करने के बारे में सोच रही हैं। इनमें सीमेंस, प्रॉक्टर एंड गैंबल, ओरेकल सर्विसेज पाकिस्तान, आईबीएम पाकिस्तान, फेडएक्स (जेरी ग्रुप ऑफ कंपनीज), मैरिएट होटल्स, ट्रॉय ग्रुप इंक और 3M पाकिस्तान जैसी बड़ी कंपिनियों किसी और देश में शिफ्ट होने के बारे में विचार कर रही हैं।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सीमेंस का सबसे बड़ा योगदान
सीमेंस पाकिस्तान एक लीडिंग टेक्नॉलोजी कंपनी है जिसकी पहुंच बिजनेस के अलग-अलग क्षेत्र में है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में इस कंपनी का सबसे बड़ा योगदान माना जाता है। हालांकि, पाकिस्तान की सरकार और एसबीपी के रवैया देखकर कंपनी अब देश से बाहर जाने के बारे में विचार कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ये ग्रुप जल्द ही पाकिस्तान में अपने संचालन और सुविधाओं को बंद कर सकता है। खबर ये भी है कि गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रही सीमेंस के यहां कई फंड को कुछ महीनों से ब्लॉक किया हुआ है। ये राशि कुल 205 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
कच्चे माल और मशीनरी के आयात में दिक्कतें
वहीं अगर बाकि की मल्टीनेशनल कंपनियों की बात करें तो कच्चे माल और मशीनरी के आयात, उनके शिपमेंट की निकासी और पाकिस्तान से अपने मुनाफे को वापस लाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान में आर्थिक उथल-पुथल ने देश को एक ऐसे संकट की ओर धकेल दिया है जो प्रकृति और अवधि के हिसाब से बहुत बड़ा है। कम ग्रोथ, अधिक कर्ज, अभूतपूर्व मुद्रास्फीति और विदेशी मुद्रा की भयानक कमी से यहां के लोगों का भविष्य डगमगा रहा है।