यूएस मीडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की मदद से विकसित हो रहे ग्वादर पोर्ट से वहां के स्थानीय लोगों को कोई फायदा अब तक नहीं हुआ है। इस पोर्ट के यहां पर बनने से स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ गई है।
By Jagran NewsEdited By: Kamal VermaUpdated: Sat, 19 Nov 2022 10:55 AM (IST)
बीजिंग (एजेंसी)। पाकिस्तान और चीन के गठजोड़ को लेकर विश्व स्तर पर आई कई रिपोर्ट इस बात की तरफ इशारा कर रही हैं कि इस गठजोड़ से वहां की अर्थव्यवस्था और वहां के स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ है। अब एक अमेरिकी न्यूज वेबसाइट ने ग्वादर पोर्ट को लेकर चाइना प्रोजेक्ट के नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें कहा गया है कि इस पोर्ट का वहां के स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ।
सच्चाई बिल्कुल अलग
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने पाकिस्तान और इस क्षेत्र के विकास के साथ यहां के स्थानीय लोगों के फायदे के नाम पर इस प्रोजेक्ट को अपने हाथों में लिया था। लेकिन इसकी सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। पिछले कुछ दिनों में यहां पर होने वाले विरोध प्रदर्शनों की तादाद भी काफी बढ़ी है। आपको बता दें कि ग्वादर में स्थानीय मछुआरों को मछली पकड़ने से रोक दिया गया है। इसकी वजह से हजारों मछुआरों और इस कारोबार से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है।
चीन की मदद से हो रहा विकसित
गौरतलब है कि पिछले करीब 7 वर्षों से भी अधिक समय से ग्वादर पोर्ट को चीन से मिले धन से विकसित किया जा रहा है। इसके बावजूद यहां पर रहने वाले लोगों को इसका अब तक कोई फायदा मिलता दिखाई नहीं दिया है। न ही इस प्रोजेक्ट से इनका जीवन स्तर बेहतर ही हुआ है। ग्वादर के सोशल एक्टिविस्ट नासिर रहीम सुहराबी का कहना है कि पिछले करीब 20 वर्षों से ग्वादर की यंग जनरेशन यही सपना संजोकर बड़ी हुई है कि चीन की मदद से यहां का काया पलट हो जाएगा। ये जनरेशन यही मानती आई है कि चीन की मदद से ये पूरा क्षेत्र भविष्य में सिंगापुर और दुबई के मुकाबले का हो जाएगा। लेकिन, अब ये सपना और ये उम्मीदें धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं।
सिक्योरिटी जोन
सुहराबी ने बताया कि ये पूरा इलाका सिक्योरिटी जोन के तहत आता है। स्थानीय लोगों को यहां पर आने की मनाही है। बंदरगाह के पूरे इलाके में जबरदस्त सिक्योरिटी रहती है। यहां पर जाने वालों को कई सुरक्षा चक्रों से होकर गुजरना पड़ता है। यहां का एक मिनी फिश पोर्ट भी ग्वादर पोर्ट का ही हिस्सा है। लेकिन, यहां के स्थानीय मछुआरे अब यहां पर मछली नहीं पकड़ पाते हैं। इन्हें इसकी इजाजत नहीं है। जिन्हें इसकी इजाजत है भी तो उन्हें कई तरह के सिक्योरिटी प्रोटोकाल से होकर गुजरना पड़ता है। इस वजह से यहां पर हाल के कुछ समय में विरोध प्रदर्शन भी बढ़े हैं।
स्थानीय पर्यटकों का आना बंद
यहां का पहाड़ी क्षेत्र कोह-ए-बातिल, जो कि ग्वादर के दक्षिण में स्थित है, ग्वादर के विकास से पहले यहां पर समुद्री किनारे का लुत्फ लेने काफी संख्या में लोग आते थे। यहां के स्थानीय लोगों के लिए ये एक बेहतर पर्यटन स्थल हुआ करता था। ग्वादर के चीन के पास जाने और इसके विकास के बाद यहां पर भी लोगों के आने जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यहां पर आने वालों को भी कई तरह के सिक्योरिटी प्रोटोकाल से गुजरना पड़ता है। यहां के राजनीतिक कार्यकर्ताओं का भी मानना है कि इस पोर्ट के विकास से यहां के स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। ये लोगों के लिए अब एक नुकसान का सौदा बनता जा रहा है। जहां पर यहां के स्थानीय लोग पहले बेरोकटोक आते और जाते थे वहां पर अब ऐसा कुछ भी नहीं है।
बढ़ गई समस्या
यहां की एक सामाजिक कार्यकर्ता कुलसुम बलूच का भी कहना है कि ग्वादर पोर्ट के विकास से यहां के स्थानीय लोगों की समस्याएं बढ़ गई है। इसकी वजह से अब यहां के स्थानीय लोग परेशान ही नहीं बल्कि गुस्सा भी होने लगे हैं। उनके मुताबिक इस पोर्ट के विकास की शुरुआत में यहां के स्थानीय लोगों को दूसरी जगह बसाने की बात कही गई थी। लेकिन, ग्वादर पोर्ट आथरिटी के चेयरमेन की तरफ से अब तक इस बारे में कोई कदम ही नहीं उठाया गया है। नसीर खान कशानी का कहना है कि यहां के स्थानीय लोगों को अब इस बात का भी डर लगने लगा है कि कहीं वो यहां पर अल्पसंख्यक बनकर न रह जाएं। यहां पर विदेशियों की संख्या स्थानीय लोगों से अधिक है। ये एक सच्चाई बन गई है। यही वजह है कि चीन के इस प्रोजेक्ट से अब लोगों को डर लगने लगा है।
विदेशियों की बढ़ रही संख्या
यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले 5 वर्षों में यदि यहां पर आने वाले गैर स्थानीय और चीन के लोगों की बात करें तो इसमें काफी बढ़ोतरी हो चुकी है। यहां पर स्थानीय लोगों की संख्या करीब डेढ़ लाख है। ये फिलहाल यहां पर अधिक संख्या में हैं लेकिन जिस तरह से विदेशी लोगों की संख्या यहां पर बढ़ रही है उसको देखते हुए कुछ नहीं कहा जा सकता है। कशनी का ये भी कहना है कि यहां के स्थानीय लोग इस उम्मीद में यहां पर काम कर रहे हैं कि एक दिन उनके जीवन में बदलाव आएगा और यहां का जीवन स्तर सुधर जाएगा।
क्या कहते हैं लोग
हालांकि, यहां के अधिक स्थानीय विशेषज्ञ इस बात को नहीं मानते हैं। एक राजनीतिक विशेषज्ञ जान मोहम्मद बलूच का कहना है कि सरकार को यहां पर चीन की मदद से इस पोर्ट को विकसित करने से पहले यहां के स्थानीय लोगों से राय लेनी चाहिए थी। उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए थी कि आखिर यहां पर क्या होने वाला है। इस पोर्ट को लेकर लिया गया सरकार का फैसला इस बात का सबूत है कि उन्हें यहां के लोगों की कोई परवाह नहीं है।
बलूचों का विरोध
बता दें कि चीन के इस प्रोजेक्ट का जहां अधिक बलूच विरोध करते हैं वहीं बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी के हमलों का खतरा हर वक्त यहां पर बना रहता है। ये यहां पर एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन है। बीएलए पाकिस्तान में चीन की मौजूदगी का जमकर विरोध करता रहा है। वहीं स्थानयी लोगों का कहना है कि चीन केवल यहां से अपना फायदा कर रहा है। इससे पाकिस्तान को केवल नुकसान हो रहा है।
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