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पाकिस्तान का गजब हाल, पुस्तक मेले में सिर्फ 35 किताबें बिकीं; मगर लोगों ने 800 प्लेट बिरयानी कर दी साफ

पाकिस्तान के लाहौर में किताबों पर बिरयानी भारी पड़ी। यहां पुस्तक मेले में लोगों ने किताबों पर दिलचस्पी नहीं दिखाई। लोगों का ध्यान खाने-पीने में अधिक रहा। यही वजह है कि लाहौर के पुस्तक मेले में सिर्फ 35 किताबें ही बिकीं। अगर बिरयानी की बात करें तो यह 800 प्लेट से अधिक बिकी। पाकिस्तान के इस पुस्तक मेले की खूब चर्चा है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Wed, 23 Oct 2024 08:24 AM (IST)
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पाकिस्तान में किताबों पर भारी पड़ी बिरयानी। (सांकेतिक फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान भी गजब है। इसकी वजह यहां की आवाम है। हाल ही में पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर में पुस्तक मेला का आयोजन किया गया है। यहां पुस्तक मेला तो कम लेकिन खान-पान का अधिक रेला देखने को मिला। पुस्तक मेले में लाखों किताबें थीं। मगर सिर्फ 35 किताबें ही बिक सकीं। 22 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में लेखकों और प्रकाशकों को किताबों के खरीदार नहीं मिल सके।

1200 से ज्यादा शावरमा बिके

मेले में पहुंचने वाले पाकिस्तानियों की रूचि किताबों में नहीं दिखी। मगर खान-पान में कोई संकोच नहीं किया। तभी तो 35 किताबों के मुकाबले 1200 से अधिक शावरमा और 800 से ज्यादा प्लेट बिरयानी बिक गई। मेले में पहुंचने वाला हर शख्स सिर्फ खाना ही तलाश रहा था। पुस्तक मेले के आयोजन का उद्देश्य देश में साहित्य को बढ़ावा देना था। मगर वह धरा का धरा रह गया।

साहित्य के केंद्र लाहौर में ऐसा हाल

लाहौर पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह ऐतिहासिक शहर कई मायनों में खास है। सआदत हसन मंटो और फैज अहमद फैज का जन्म भी इसी शहर में हुआ था। उसी शहर में पुस्तक मेले की यह दुर्दशा देख दुनियाभर में चर्चा होना लाजिमी है। लाहौर को पाकिस्तान का साहित्यिक और सांस्कृतिक केंद्र कहा जाता है। एशिया न्यूज नेटवर्क की रिपोर्ट के मुताबिक लाहौर पुस्तक मेले में केवल 35 किताबें ही लोगों ने खरीदीं।

लोगों ने बताए अपने-अपने तर्क

रेडिट पर एक यूजर ने लिखा कि एक औसत पाकिस्तानी कोई शौकीन पाठक नहीं है। यह सबको पता है। वहीं दूसरे ने लिखा कि कीमत भी एक वजह है। बिरयानी की एक प्लेट 400-500 या उससे कम की मिलती है। एक उपन्यास 1000से 4000 में मिलता है। एक अन्य ने लिखा कि एक किताब की कीमत 400 से 500 रुपये तक होती है। वहीं बिरयानी और शवरमा लगभग 100 रुपये में मिल जाती है। अगर मुझे कोई किताब चाहिए होगी तो मैं सेकेंड हैंड बुकशॉप पर जाना पसंद करूंगा, क्योंकि वहां अधिक वैरायटी के साथ-साथ सस्ती भी होती है।

एक व्यक्ति ने लिखा कि अगर केवल 35 किताबें बिकीं तो यह कोई पुस्तक मेला नहीं था। ऐसा लगता है कि यह कोई फूड फेस्टिवल है. जिसमें कुछ किताबें भी बिक रही हैं। उसने कहा कि एक्सपो बुक फेयर का इंतजार करें। आप देखेंगे कि एक दिन में हजारों किताबें बिक रही होंगी।

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