Toshakhana Scam: तोशाखाना घोटाले से जुड़े विरोध मामले में पाक कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को किया बरी, जानिए क्या है पूरा मामला?
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में राहत मिली है। चुनाव आयोग द्वारा जेल में बंद प्रधानमंत्री को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने पर उन पर और उनकी पार्टी के कई वरिष्ठ सहयोगियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। अब अदालत ने दर्ज मामले में खान और उनके सहयोगियों को बरी कर दिया है।
पीटीआई, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को राहत मिली है। दरअसल, तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में चुनाव आयोग द्वारा जेल में बंद प्रधानमंत्री को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने पर उन पर और उनकी पार्टी के कई वरिष्ठ सहयोगियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। अब अदालत ने दर्ज मामले में खान और उनके सहयोगियों को बरी कर दिया है।
किन लोगों को मिली राहत?
जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा इस मामले में बरी किये गये अन्य नेताओं में शाह महमूद कुरैशी, शेख रशीद, असद कैसर, शहरयार अफरीदी, फैसल जावेद, राजा खुर्रम नवाज और अली नवाज अवान शामिल हैं।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायिक मजिस्ट्रेट यासिर महमूद ने बुधवार को सुनवाई के दौरान फैसला सुनाया, जिसे बरी करने की मांग वाली याचिकाओं पर पिछले सप्ताह सुरक्षित रखा गया था।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 71 वर्षीय संस्थापक इमरान खान और अन्य राजनेताओं के खिलाफ आबपारा पुलिस स्टेशन में पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) के तोशाखाना भ्रष्टाचार के फैसले के खिलाफ विरोध करने पर मामला दर्ज किया गया था, जिसने उन्हें सीमित समय के लिए पद पर रहने से अयोग्य घोषित कर दिया था।
क्या है तोशाखाना?
तोशाखाना कैबिनेट प्रभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत आने वाला एक विभाग है और इसमें अन्य सरकारों और राज्यों के प्रमुखों और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा शासकों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को दिए गए बहुमूल्य उपहार संग्रहित किए जाते हैं।पूर्व क्रिकेटर से राजनेता बने खान को मिले सरकारी उपहारों की बिक्री से जुड़ा तोशाखाना मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गया, जब ईसीपी ने “झूठे बयान और गलत घोषणा” करने के लिए खान को अयोग्य घोषित कर दिया।
खान ने पहले तर्क दिया था कि चुनाव अधिनियम 2017 में हाल ही में किए गए संशोधनों से अदालत के दोषसिद्धि के आधार पर किसी सदस्य की योग्यता या अयोग्यता तय करने में ईसीपी के अधिकार क्षेत्र को सीमित कर दिया गया है।उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया था कि वह निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के बजाय 8 फरवरी के आम चुनावों से उन्हें बाहर करने के लिए गैरकानूनी उत्साह और जल्दबाजी में काम कर रहा है।