पाक में अटकलों पर विराम, ले. जनरल असीम मुनीर के नए सेना प्रमुख के रूप में नियुक्ति पर राष्ट्रपति ने लगाई मुहर
लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेंगे जो लगातार तीन साल के दो कार्यकाल के बाद 29 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 61 वर्षीय जनरल बाजवा को 2016 में तीन साल के कार्यकाल के लिए सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था।
By AgencyEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Thu, 24 Nov 2022 10:34 PM (IST)
इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान में चल रही अटकलों पर विराम लग गया है। यहां पूर्व आइएसआइ प्रमुख और वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर को गुरुवार को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नया सेना प्रमुख के रूप में नियुक्ति पर मुहर लगा दी है। पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में सेना के पास काफी शक्ति है।
असीम मुनीर को ISI प्रमुख के रूप में इमरान खान ने हटा दिया था
लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर ने दो सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) के प्रमुख के रूप में काम किया है , लेकिन ISI प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल अब तक का सबसे छोटा था क्योंकि उनकी जगह आठ महीने के भीतर लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद ने ले ली थी। 2019 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इमरान खान के आग्रह पर यह कार्रवाई की गई थी ।
जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेंगे असीम मुनीर
वह जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेंगे, जो लगातार तीन साल के दो कार्यकाल के बाद 29 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 61 वर्षीय जनरल बाजवा को 2016 में तीन साल के कार्यकाल के लिए सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्हें 2019 में इमरान खान सरकार द्वारा तीन साल का विस्तार दिया गया था। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को राष्ट्रपति अल्वी को लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को चीफ आफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) और लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) का अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए एक सारांश ( Summary) भेजा थी।आरिफ अल्वी ने इमरान के साथ किया था परामर्श
सारांश मिलने के बाद आरिफ अल्वी पार्टी अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने के लिए लाहौर गए और प्रस्तावित नियुक्तियों पर परामर्श किया। ज्ञात हो कि राष्ट्रपति पद संभालने से पहले आरिफ अल्वी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से जुड़े थे। शाम को इस्लामाबाद लौटने के बाद आरिफ अल्वी ने सारांश पर हस्ताक्षर किए और लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को नए सेना प्रमुख और लेफ्टिनेंट जनरल मिर्जा को अगले सीजेसीएससी के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी।
सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नए सेना प्रमुख और सीजेसीएससी को राष्ट्रपति भवन में उनके साथ बैठक के लिए आमंत्रित किया है। राष्ट्रपति के समर्थन ने नए सेना प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली है, जिसने देश में राजनीतिक अनिश्चितता और आर्थिक आलोचना पैदा कर दी थी। दोनों अधिकारियों को चार सितारा जनरलों में भी पदोन्नत किया गया है।
इमरान खान के करीबी ने सेना की भूमिका पर उठाए सवाल
इमरान खान के करीबी सहयोगी और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बुधवार को कहा था कि जब तक हम नए सेना प्रमुख के आचरण को नहीं देखते हैं, तब तक हम इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं, लेकिन पिछले छह महीनों में राजनीति में सेना की भूमिका विवादास्पद है। यह भूमिका बदलने की आवश्यकता होगी।
असीम मुनीर का रहा है प्रभावशाली करियर
लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर पाकिस्तानी सेना में सबसे वरिष्ठ जनरल हैं। हालांकि उन्हें सितंबर 2018 में टू स्टार जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया था, लेकिन उन्होंने दो महीने बाद कार्यभार संभाला। नतीजतन, लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उनका चार साल का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। लेकिन सेना प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति के साथ उन्हें सेवा में तीन साल का विस्तार मिला है। उन्हें फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में नियुक्त किया गया था, जब से उन्होंने जनरल बाजवा के तहत एक ब्रिगेडियर के रूप में फोर्स कमांड नार्दर्न एरिया में सैनिकों की कमान संभाली थी, तब से वह सेना प्रमुख के करीबी सहयोगी रहे हैं, जो उस समय कमांडर एक्स कोर थे। इसे भी पढ़ें: पाक में सेना प्रमुख की नियुक्ति पर फंसा पेच, इमरान खान से सलाह के लिए राष्ट्रपति आरिफ अल्वी लाहौर पहुंचेआईएसआई प्रमुख के रूप में काम कर चुके हैं असीम मुनीर
असीम मुनीर को बाद में 2017 की शुरुआत में सैन्य खुफिया प्रमुख नियुक्त किया गया था और अगले साल अक्टूबर में आईएसआई प्रमुख बनाया गया था। उन्हें गुजरांवाला कोर कमांडर के रूप में तैनात किया गया था, जीएचक्यू में क्वार्टरमास्टर जनरल के रूप में स्थानांतरित होने से पहले उन्होंने यह पद दो साल तक संभाला था। सिंध रेजीमेंट से ताल्लुक रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल मिर्जा का पिछले सात वर्षों के दौरान सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के पदों पर प्रभावशाली करियर रहा है।जनरल बाजवा के करीबी सहयोगी रहे हैं मुनीर
लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर ने आफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल के माध्यम से सेवा में प्रवेश किया। इसके बाद उन्हें फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में नियुक्त किया गया। वह लंबे समय से जनरल बाजवा के करीबी सहयोगी रहे हैं। उन्होंने गुजरांवाला कोर कमांडर के रूप में दो साल काम किया। इसके बाद उन्हें क्वार्टर मास्टर जनरल के रूप में सामान्य मुख्यालय में स्थानांतरित किया गया। पाकिस्तानी समाचार पत्र डान ने बताया कि रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने लोगों से इन नियुक्तियों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखने का आह्वान किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति नियुक्तियों को विवादास्पद नहीं बनाएंगे व प्रधानमंत्री की सलाह का समर्थन करेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा, 'इससे हमारे देश और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भी मदद मिलेगी। फिलहाल सब कुछ ठप है।' पाकिस्तान में ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) सशस्त्र बलों में सर्वोच्च पद है। लेकिन, सैनिकों की तैनाती, नियुक्तियों व स्थानांतरण सहित प्रमुख शक्तियां थल सेनाध्यक्ष (COAS) के पास होती हैं। इसलिए, फौज में सेना प्रमुख को सबसे शक्तिशाली माना जाता है।35 साल से अधिक समय तक पाकिस्तान में सैन्य शासन
पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 साल हुए हैं और देश में आधे से ज्यादा समय तक सैन्य शासन रहा है। सुरक्षा और विदेश नीति में फौज का काफी दखल रहता है। नए सेना प्रमुख की नियुक्ति काफी अहम है, क्योंकि लोगों का मानना है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान की रैली का संबंध सेना में कमान बदलने से है। उन्होंने अपने समर्थकों को 26 नवंबर को रावलपिंडी में इकट्ठा होने के लिए कहा है, जिसके दो दिन बाद जनरल बाजवा नए सेना प्रमुख को कमान सौंपेंगे। इसे भी पढ़ें: इमरान ने अमेरिका के खिलाफ फिर उगली आग, कहा- आतंक के खिलाफ लड़ाई में पाक का किराए की बंदूक की तरह किया इस्तेमाल