पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा के बदले सुर, कहा- पिछली यादें भुलाकर आगे बढें भारत पाकिस्तान
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने गुरुवार को कहा कि मौजूदा वक्त भारत और पाकिस्तान के लिए अतीत की यादों को दफना कर आगे बढ़ने का है। दोनों पड़ोसियों के बीच शांति कायम होने से दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता को अनलॉक करने में मदद मिलेगी।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 19 Mar 2021 01:09 AM (IST)
इस्लामाबाद, पीटीआइ। दुनियाभर में आतंकवाद पर घिरे और आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के सुर बदलने लगे हैं। इमरान सरकार के बाद अब इस देश की शक्तिशाली सेना ने भी शांति का राग अलापा है। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि अतीत को भूलकर भारत और पाकिस्तान आगे बढ़ना चाहिए। उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच शांति से क्षेत्र में संपन्नता और खुशहाली आएगी। इतना ही नहीं भारत के लिए मध्य एशिया तक पहुंच आसान हो जाएगा।
बाजवा ने कहा कि पूर्व और पश्चिम एशिया के बीच संपर्क सुनिश्चित करके दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता को खोलने के लिए भारत और पाक के बीच संबंधों का स्थिर होना बहुत जरूरी है। दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच शांति कायम होने से दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता को अनलॉक करने में मदद मिलेगी। हालांकि बाजवा ने इस मौके पर भी कश्मीर का राग अलापा और संबंधों को सामान्य बनाने की पहलकदमी भारत पर ही डाल दी। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी (भारत) को विशेष रूप से कश्मीर में एक अनुकूल वातावरण बनाना होगा।
गौरतलब है कि बाजवा के इस बयान से ठीक एक दिन पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि यदि भारत और पाक के बीच शांति स्थापित हो जाए तो इससे नई दिल्ली को संसाधन संपन्न मध्य एशिया तक पहुंचने में मदद मिलेगी। सनद रहे कि भारत ने पिछले महीने ही कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ संबंध सामान्य करना चाहता है लेकिन इसके लिए इस्लामाबाद को पहले आतंक और शत्रुतापूर्ण वातावरण को खत्म करना होगा।
दो दिवसीय इस्लामाबाद सिक्योरिटी डायलॉग में अपना उद्घाटन भाषण देते हुए इमरान खान ने कहा कि भारत से मध्य एशिया पहुंचने के लिए पाकिस्तान का रास्ता बिल्कुल सीधा है और दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने से नई दिल्ली को इसका आर्थिक लाभ होगा। हालांकि वह कश्मीर का राग अलापना नहीं भूले। इमरान ने कहा कि कश्मीर के अनसुलझे मसले दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने में सबसे बड़ी बाधा हैं।
मालूम हो कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने पिछले माह भी दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाया था। गत 25 फरवरी को दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष विराम की संयुक्त घोषणा हुई थी। इसका स्वागत करते हुए इमरान ने कहा था कि उनका देश भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों को वार्ता के जरिये सुलझाने के लिए तैयार है। मौजूदा वक्त में पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची यानी ग्रे-लिस्ट से बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा है। आतंकी फंडिंग को लेकर उसे इस सूची में डाला गया है।
लगभग डेढ़ साल पहले भारत ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था। साथ ही उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर पाकिस्तान ने खूब हाथ पैर मारे लेकिन उसे कश्मीर मसले पर विश्व समुदाय का समर्थन नहीं मिला। इतना ही नहीं इस्लामिक देशों ने भी इमरान का साथ नहीं दिया। भारत का साफ कहना है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते हैं। पाकिस्तान को अपने यहां प्रायोजित आतंकवाद पर लगाम लगाना ही होगा...