जिसे बनाया आर्मी चीफ, उसी ने फांसी के फंदे तक पहुंचाया, भरी सभा में जिया को जनरल बंदर क्यों कहते थे भुट्टो
Pakistan military general जुल्फीकार भुट्टो जिया को बहुत आम इंसान मानते थे। उन्हें लगता था कि वो वहीं करेंगे जो एक देश का प्रधानमंत्री उन्हें करने के लिए कहेगा। भुट्टो जिया को कुछ भी नहीं समझते थे। वे जिया का सबके सामने मजाक उड़ाते थे।
By Nidhi AvinashEdited By: Updated: Tue, 29 Nov 2022 04:37 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Pakistan Military General: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो को क्या पता था कि जिसे वह जनरल बंदर कह कर बुला रहे है वहीं उनकी मौत का काल बनकर आएगा। जनरल बंदर और इंगलिश कार्टून कैरेक्टर जैसे दिखते थे पाकिस्तान के छठे राष्ट्रपति और कट्टर तानाशाह जिया उल हक।
पाकिस्तान के शासकों पर लिखी किताब 'पाकिस्तान एट द हेल्म' में लेखक तिलक देवेशर ने लिखा है कि जुल्फीकार अली भुट्टो ने जब पहली बार जिया को देखा था तो वो उन्हें इंगिलश कार्टून का विलेन जैसा दिखा था। बैनजीर उन्हें क्रिकेटरों के देश में शतरंज का खिलाड़ी की तरह मानते थे। लेकिन बैनजीर ये भूल गए कि जिया अपने ऊपर हो रही बेईज्जती को कभी नहीं भूलता है। इसी जनरल बंदर ने पाकिस्तान में राष्ट्रपति का पद संभाला और देश के सबसे लंबे समय तक सैन्य तानाशाह के रूप में कार्य किया।
जुल्फीकार अली भुट्टो को बताया क्या होती है असली ताकत
जिया उल हक से पहले आइये आपको जुल्फीकार अली भुट्टो से थोड़ा रूबरू करा देते है। जुल्फीकार पाकिस्तान में लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए थे। जुल्फीकार पाकिस्तान के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक थे लेकिन उन्हें फौज ने 1977 में तख्तापलट करके पद से हटा दिया था। 4 अप्रैल 1979 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। जुल्फीकार को सजा-ए-मौत की सजा और अपने रास्ते से हटाने वाला और कोई नहीं बल्कि जिया उल हक था, जिसे भुट्टो ने सेना प्रमुख की कमान सौंपी थी। भुट्टो को भरोसा था कि चाहे जो कुछ भी हो जाए लेकिन जिया उन्हें फांसी की सजा नहीं सुनाएगा। बता दें कि भुट्टों पर अपने ही राजनीतिक प्रतिद्वंदी को मरवाने का आरोप लगा था।दिल्ली की श्रद्धा की घटना पहली नहीं, दुश्मनों का सिर काटकर फ्रिज में रखता था ये सनकी तानाशाह
जिसे शिखर तक पहुंचाया उसी ने भुट्टो को दिया धोखा
सवाल है कि जिस शख्स ने जिया उल हक को आसमान की शिखर तक पहुंचाया उसी शख्स को जिया ने मौत की सजा क्यों सुनाई? अपनी किताब में लेखक तिलक देवेशर ने लिखा है, 'जिया बहुत ही चालाक थे और सबके सामने खुद को ऐसे पेश करते थे मानो उनसे ज्यादा भला और शरीफ दुनिया में कोई और है ही नहीं। उनकी सबसे अच्छी आदत यह थी कि वो किसी को भी न नहीं कहते थे। वो सुनते सबकी थे पर करते वही थे जो उनकी इच्छा होती थी।' जिया इतने चालाक और शातिर थे कि उनके चेहरे के पीछे छिपे नाकाब को खुद जुल्फीकार भुट्टों तक नहीं पहचान पाए।जिया का भुट्टो उड़ाते थे मजाक
जुल्फीकार भुट्टो, जिया को बहुत आम इंसान मानते थे। उन्हें लगता था कि वो वहीं करेंगे जो एक देश का प्रधानमंत्री उन्हें करने के लिए कहेगा। भुट्टो, जिया को कुछ भी नहीं समझते थे। वे जिया का सबके सामने मजाक उड़ाते थे। कभी बंदर जनरल तो कभी इंग्लिश कार्टून केरेक्टर कहकर उनका मजाक भरी सभा में उड़ाते थे। भुट्टो ऐसा इसलिए करते थे क्योंकि वे इससे ये साबित करना चाहते थे कि देश की सेना प्रधानमंत्री के हाथों में है।
जिया के कद और उनके चेहरे और दांतों का भी भुट्टों ने काफी मजाक बनाया लेकिन वे भूल गए कि समय का पहिया बहुत जल्दी घूमता है और ऐसा ही हुआ। जैसे ही जिया ने सेना प्रमुख की गद्दी संभाली वैसे ही भुट्टो की जिंदगी के काले दिन शुरू हो गए। उन्होंने अपनी हर बेईज्जती को दिल में संभाल कर रखा और जब मौका आया तब उन्होंने उसका बदला ले लिया।पाकिस्तान के ये 5 तानाशाह जो हिन्दुस्तान में हुए पैदा, बाद में भारत के ही खिलाफ रची साजिश