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PAK सेना ने TTP के तीन आतंकियों को उतारा मौत के घाट; जवाबी कार्रवाई में मारे गए चार पाकिस्तानी सैनिक

पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने जानकारी दी कि बलूचिस्तान प्रांत में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के तीन आतंकियों को पाकिस्तानी सैनिकों ने मार गिराया। वहीं गोलीबारी के दौरान चार पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए। तहरीक-तालिबान की स्थापना साल 2007 में हुई थी। इस आतंकी संगठन को अमेरिका द्वारा 1 सितंबर 2010 को आतंकी संगठनों की सूची में रखा गया था।

By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Mon, 02 Oct 2023 12:32 AM (IST)
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पाकिस्तानी सैनिकों ने बलूचिस्तान प्रांत में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के तीन आतंकियों को मार गिराया।(फोटो सोर्स: जागरण)
कराची, पीटीआई। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (Tehreek e Taliban Pakistan) के तीन आतंकियों को पाकिस्तानी सैनिकों ने मार गिराया। इस मुठभेड़ को 28 सितंबर को अंजाम दिया गया था। गोलीबारी के दौरान चार पाकिस्तानी सैनिकों ने भी जान गंवा दी।

 पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (Pakistan military's media wing Inter Services Public Relations) द्वारा शनिवार को जारी बयान में कहा गया है कि यह घटना 28 सितंबर को प्रांत के झोब इलाके में हुई, जो अफगानिस्तान के साथ देश की सीमा के करीब है।

पाकिस्तान में घुसपैठ को अंजाम दे रहे थे आतंकी: पाकिस्तानी सेना

बयान में कहा गया,"अफगानिस्तान से पाकिस्तान क्षेत्र में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले आतंकवादियों के एक समूह को रोकने की कोशिश करते समय 28 सितंबर को चार सैनिक शहीद हो गए।"

आईएसपीआर ने कहा कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (Pakistan military's media wing Inter Services Public Relations) के आतंकवादियों ने झोब में अफगानिस्तान से पाकिस्तान में घुसपैठ करने की कोशिश की थी। मीडिया विंग ने आगे कहा कि सुरक्षाकर्मियों ने प्रयास को विफल कर दिया और आगामी गोलीबारी में चार सैनिकों की जान चली गई, जबकि तीन आतंकवादी भी मारे गए और कुछ अन्य घायल हो गए।

तालिबान की विचारधारा को बढ़ावा देता है टीटीपी

तहरीक-तालिबान की स्थापना साल 2007 में हुई थी। इस आतंकी संगठन को अमेरिका द्वारा 1 सितंबर 2010 को आतंकी संगठनों की सूची में रखा गया था। इसके नेताओं हकीमुल्लाह मसूद और वाली उर्रहमान को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी माना गया था। यह संगठन अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान विचारधारा को बढ़ावा देना चाहता है।

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