Move to Jagran APP

पाकिस्तान ने ही दिखाई J&K से Article 370 खत्म करने की राह, फिर क्यों मचा रहा शोर

पाकिस्तान JK से Article 370 खत्म करने पर रोना रो रहा है लेकिन उसने भी एक साल पहले कुछ ऐसा ही किया था। तब पाकिस्तान ने भारत को एक नसीहत भी दी थी जो अब वह खुद भूल गया है।

By Amit SinghEdited By: Updated: Sun, 11 Aug 2019 08:11 AM (IST)
Hero Image
पाकिस्तान ने ही दिखाई J&K से Article 370 खत्म करने की राह, फिर क्यों मचा रहा शोर
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म कर उसे विशेष राज्य की जगह केंद्र शासित प्रदेश बनाने को लेकर सबसे ज्यादा हायतौबा पाकिस्तान मचा रहा है। पाकिस्तान इस मसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रोना रो चुका है। हर जगह से उसे दो टूक जवाब मिल रहा है कि ये भारत का अंदरूनी मामला है और दोनों देशों को सीमा पर शांति बनाए रखनी चाहिए। वास्तविकता ये है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म करने की राह खुद पाकिस्तान ने ही दिखाई है।

पूरे प्रकरण में पाकिस्तान बहुत शातिराना तरीके से एक साल पहले ठीक इसी तरह लिए गए अपने फैसले को अनदेखा कर रहा है। पाकिस्तान ने एक साल पहले अपने कब्जे वाले कश्मीर के गिलगिट बाल्टिस्तान और एक अन्य क्षेत्र फाटा के साथ भी कुछ ऐसा ही किया था। पाकिस्तान सरकार ने 21 मई 2018 को अचानक गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों की सभी शक्तियां छीन ली थीं। गिलगिट बाल्टिस्तान, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का एक हिस्सा है। 1947 की आजादी और उसके कुछ माह बाद हुए भारत-पाक युद्ध से पहले तक गिलगिट बाल्टिस्तान समेत पाकिस्तान के कब्जे वाला पूरा कश्मीर, जम्मू-कश्मीर का अटूट हिस्सा हुआ करता था।

छीन ली थी स्थानीय निकायों की शक्तियां
पाकिस्तान सरकार ने मई 2018 के अपने फैसले के तहत 'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' की घोषणा की थी। इसके जरिए पाकिस्तान ने 'गिलगिट बाल्टिस्तान सशक्तीकरण और 2009 के स्व-शासन आदेश' को खत्म कर दिया था। मतलब 'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' के जरिये पाकिस्तान ने स्थानीय निकायों की सभी शक्तियों को समाप्त कर दिया था और वहां के सभी अधिकार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को सौंप दिए गए थे।

कानूनी अधिकार भी खत्म कर दिए थे
इतना ही नहीं पाकिस्तान ने 'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' में स्थानीय लोगों से कर वसूली का अधिकार भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को सौंप दिया था। पाकिस्तान ने उस वक्त इस तह से कानून बनाया था कि उसे कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती थी। मतलब पाकिस्तान ने एक तरह से लोगों के न्याय पाने के मूल अधिकार भी छीन लिये थे। जबकि, भारत ने जम्मू-कश्मीर से 370 खत्म करने के साथ लोगों के कानूनी अधिकार नहीं छीने हैं। यही वजह है कि सरकार के फैसले के खिलाफ जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में याचिकाएं दायर की गई हैं।


गिलगिट बल्टिस्तान में पाकिस्तान के फैसले के खिलाफ स्थानीय लोगों के विरोध की फाइल फोटो।

तब पाकिस्तान ने भारत को दी थी ये सलाह
पाकिस्तान ने भी 'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' लागू करने से पहले न तो स्थानीय लोगों की राय ली थी और न ही भारत या अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कोई बात की थी। पाकिस्तान के इस फैसले के खिलाफ गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों ने जबरदस्त विरोध भी प्रदर्शन किया था। भारत ने भी उस वक्त पाकिस्तान के फैसले पर आपत्ति जताई थी। इसी मसले पर भारत के विदेश मंत्रालय ने 27 मई 2018 को दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान के डिप्टी हाई कमीश्नर को तलब किया था। उस वक्त भी भारत ने पाकिस्तानी डिप्टी हाई कमीश्नर से स्पष्ट कहा था कि गिलगिट बाल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर का पूरा इलाका भारत का है। तब पाकिस्तान ने इसे अपना अंदरूनी मामला बताते हुए, भारत को शांत रहने की सलाह दी थी।

मीडिया कवरेज पर लगाई थी पाबंदी
'गिलगिट बाल्टिस्तान ऑर्डर 2018' लागू करने के साथ ही पाकिस्तान ने प्रभावित क्षेत्र में मीडिया कवरेज को भी सीमित कर दिया था। मतलब, उस वक्त पाकिस्तानी मीडिया से वहां के वास्तविक घटनाक्रमों की निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने तक का अधिकार छीन लिया गया था। काफी समय तक उस इलाके में बाहरी लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध जैसी स्थिति थी। वहीं, भारत ने अनुच्छेद-370 खत्म करने के बाद ऐसा कुछ नहीं किया है। भारतीय मीडिया में घाटी के ताजा हालात की लाइव कवरेज हो रही है। समाचार चैनलों और अखबारों में टेलिफोन व इंटरनेट सेवाएं बंद होने से स्थानीय लोगों को हो रही परेशानियों की भी निष्पक्ष रिपोर्टिंग की जा रही है।

एक सप्ताह में फाटा के भी अधिकार छीन लिए
फाटा (FATA- The Federally Administered Tribal Areas), पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम में मौजूद कुछ आदिवासी समुदायों का एक स्वायत्त इलाका था। 1947 के बंटवारे से पूर्व से इसका अस्तित्‍व है। 24 मई 2018 के दिन पाकिस्तान सरकार ने गिलगिट बल्टिस्तान की तरह इस इलाके को भी जबरन अपने अधिकार क्षेत्र में मिला लिया था। मतलब गिलगिट बल्टिस्तान की तरह फाटा के भी विशेष अधिकार, पाकिस्तानी सरकार ने खत्म कर दिए थे। उस वक्त भी पाकिस्तान ने वहां के लोगों की न तो राय ली थी और न ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसकी कोई जानकारी दी थी।

पाकिस्तान के फैसले का स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों ने जबरदस्त विरोध किया था। इस फैसले से पहले पाकिस्तान वर्षों से उस क्षेत्र में आदिवासियों पर अत्याचार करता रहा है। फाटा के अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य सात जिले और छह सीमावर्ती इलाके शामिल थे। इस इलाके की सरहदें, पूर्व और दक्षिण में पाकिस्तानी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान से मिलती हैं। उत्तर और पश्चिम में ये इलाका अफगानिस्तान की सीमाओं से सटा हुआ है। इससे पहले दो मार्च 2017 को भी पाकिस्तानी सरकार ने इस इलाके को अपने अधिकार क्षेत्र में मिलाने का प्रस्ताव संसद में पेश किया था, जिसे उन्हीं की संसद ने खारिज कर दिया था।

यह भी पढ़ें-
हिन्दू ही नहीं मुस्लिम भी हैं प्रभु राम के वंशज, भारतीय वैज्ञानिकों ने किया था DNA शोध
दुनियाभर की एयर होस्टेस की अश्लील तस्वीरें हो रहीं वायरल, विदेशी सर्वे ने खोली पोल
Photos: सात देशों को जोड़ती है दुनिया की सबसे बड़ी पर्वतमाला, लेकिन ये हिमालय नहीं
Article 370 पर मलाला ने पाकिस्तान को दिखाया आईना, जानें- अन्य देशों की प्रतिक्रिया
कौन हैं वीरप्‍पन को ढेर करने वाले IPS विजय, J&K में निभा सकते हैं बड़ी भूमिका

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप