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बलूचिस्तान में हिंसा की घटनाओं से पाकिस्तान सरकार की बढ़ी टेंशन, अगस्त माह पिछले 6 साल में सबसे ज्यादा 'खतरनाक'

Pakistan News पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत​ हिंसा की घटनाओं से ग्रस्त है। यहां पिछले 6 साल में पिछला अगस्त माह सबसे ज्यादा अशांत रहा। यहां आतंकी घटनाओं के चलते आम लोगों को ही नहीं सुरक्षाबलों को भी अपनी जान गंवाना पड़ी है। बलूचिस्तान में लगातार हिंसा के मामलों ने पाकिस्तान की शहबाज सरकार की टेंशन भी और बढ़ा दी है।

By Jagran News Edited By: Deepak Vyas Updated: Wed, 04 Sep 2024 10:10 AM (IST)
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Pakistan News: बलूचिस्तान में बढ़ती आतंकी घटनाओं से शहबाज सरकार चिंतित है। (फाइल फोटो)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान का बलूचिस्तान बेहद अशांत क्षेत्र है। यहां हाल के समय में पाकिस्तान विरोधी हिंसा के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। पिछले दिनों बलूचिस्तान में दो विभिन्न मामलों में बलूच बंदूकधारियों ने करीब 40 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बलूचिस्तान में पिछला अगस्त का महीने पिछले 6 साल का सबसे घातक महीना रहा है। अगस्त महीने में सबसे ज्यादा हिंसा के मामले आए हैं।

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (PICSS) के अनुसार अगस्त के महीने में पाकिस्तान में सरकार विरोधी हिंसा के मामलों में खतरनाक ढंग से बढ़ोतरी हुई है। इस कारण यह पिछले 6 साल का सबसे ज्यादा अशांत महीना बन गया है। अगस्त में बलूचिस्तान में सबसे अधिक मौतें होने के मामले सामने आए हैं।

अगस्त में कितने लोग मारे गए?

PICSS की सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार अगस्त के महीने में हिंसा की घटनाओं में पाकिस्तान में कम से कम 254 लोग मारे गए। इनमें 92 नागरिक, 108 आतंकवादी और 54 सशस्त्र सैनिक शामिल थे। इसके अतिरिक्त अलग अलग घटनाओं में करीब 150 लोग घायल हुए। इनमें 88 के करीब आमजन थे।

आतंकी हमलों के कारण सबसे ज्यादा मौतें

पाकिस्तान में हाल के समय में आतंकी घटनाओं में ​काफी बढ़ोतरी हुई है। यही कारण है कि पाकिस्तान में हिंसा की घटनाओं में सबसे ज्यादा 83 आतंकी घटनाएं हुई हैं। इनमें 175 लोगों की जान गई है। इनमें 47 के करीब सुरक्षाकर्मी, 92 आम लोग शामिल थे। वहीं 36 आतंकवादी भी मारे गए। इसके अलावा हिंसा की घटनाओं में 123 लोग घायल हुए। इन घायलों में 35 सुरक्षाकर्मी और 88 आम नागरिक रहे हैं। इस तरह पिछले 6 साल में यानी जुलाई 2018 के बाद से अगस्त सबसे 'खतरनाक' महीने के रूप में माना गया है।

कब से शुरू हुआ बलूच विद्रोह?

बलूचिस्तान में हिंसा का इतिहास देखा जाए तो 1948 से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ बलूच विद्रोहियों ने हिंसा का रास्ता पकड़ा। सरकार कि खिलाफ बलूचिस्तान में प्रतिरोध की भावना इन दिनों चरम पर पहुंच गई है। बलूच विद्रो​ही पूरे दमखम के साथ पाकिस्तान के सुरक्षा जवानों को निशाना बना रहे हैं। बलूच विद्रोहियों की पूरी फौज है, जिसे बलूचिस्तान लिबरेशन फोर्स यानी बीएलए के नाम से जाना जाता है। बीएलए के इन हमलों ने पाकिस्तान सरकार की टेंशन बढ़ा दी है।

बलूचिस्तान में अस्थिरता से शहबाज सरकार चिंतित

बलूच मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट्स में भी इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि न सिर्फ हिंसा बल्कि लोगों के गायब होने यानी अगवा करने की घटनाएं भी सामने आई हैं। क्वेटा, केच, अवारान और खुज़दार में गायब होने के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं। बलूचिस्तान में आतंकी हमलों के कारण स्थिति शोचनीय बनी हुई है। अ​स्थिरता और मानवाधिकारों के हनन से पाकिस्तान की शहबाज सरकार चिंतित है। अलगाववादी समूहों और सरकार के बीच चल रहे संघर्ष के कारण मानवाधिकार की स्थिति गंभीर है। यही कारण है कि हिंसा के मामले चरम पर हैं।