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पाकिस्तान की नापाक नीति के कारण बढ़ी आतंकी घटनाएं, जिस थाली में खाया उसी में प्रतिबंधित संगठन TTP कर रहा छेद

पाकिस्तान में पिछले तीन वर्षों में आतंकी घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। इन घटनाओं में तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को काफी योगदान है और उसे पिछले दरवाजे से मदद भी मिली है। यह जानकारी द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट में सामने आई। Photo- AP

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 02 Feb 2023 05:15 PM (IST)
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पाकिस्तान की नापाक नीति के कारण बढ़ी आतंकी घटनाएं।

कराची, एएनआई। पाकिस्तान में पिछले तीन वर्षों में आतंकी घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। इन घटनाओं में तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को काफी योगदान है और उसे पिछले दरवाजे से मदद भी मिली है। यह जानकारी द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट में सामने आई। बता दें कि पेशावर की मस्जिद में सोमवार को हुए विस्फोट में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई और 170 लोग घायल हो गए। इससे पाकिस्तान में आतंक की प्रवृत्ति बढ़ने का डर पैदा हो गया। इसे देखते हुए, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक की बुलाई गई।

पाकिस्तान में बढ़ी आतंकी घटनाएं

हालांकि, पेशावर में हुए धमाके की जिम्मेदारी टीटीपी ने ली थी, लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 2021 की तुलना में 2022 में आतंकवाद की घटनाओं में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2017 के बाद एक साल में पहली बार आतंकवाद की 300 से अधिक घटनाएं हुईं।

कई मुश्किलों का सामना कर रहा पाकिस्तान

ये सभी घटनाएं ऐसे समय में और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं ,जब पाकिस्तान राजनीतिक और वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। NACTA कि रिपोर्ट के अनुसार, टीटीपी के साथ पीटीआई सरकार की बातचीत ने आतंकी संगठन को प्रोत्साहित किया, लेकिन पूर्व पीएम इमरान खान अभी भी वर्तमान सरकार पर उंगली उठा रहे हैं। इससे पहले, संघीय सरकार ने आतंकवाद की घटनाओं में वृद्धि के लिए खैबर पख्तूनखवा में पीटीआई सरकार को दोषी ठहराया था।

टीटीपी को पाकिस्तान में पनाह

बता दें कि टीटीपी ने 2014 में पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर आतंकवादी हमला किया था और 122 निर्दोष छात्रों और 22 शिक्षकों की हत्या कर दी थी। इस घटना ने पाकिस्तान की उस भ्रमित नीति को दिशा दी कि वह आतंकवादियों के खिलाफ तुरंत और प्रभावी कार्रवाई करे। बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान की जीत के साथ ही टीटीपी द्वारा आतंकवादी हमलों के खतरे महसूस किए गए थे। वहीं, इससे निपटने के बजाय उस समय के सरकारों ने टीटीपी से बातचीत पर ध्यान केंद्रित किया।

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