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Pakistan: मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों को कम करने के लिए संसद में बिल पेश, पीएम शहबाज शरीफ ने की मांग

आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में प्रधान न्यायाधीश की विवेकाधीन शक्तियों को कम करने की तैयारी हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने 28 मार्च को सदन में सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) बिल 2023 पेश किया है।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Wed, 29 Mar 2023 08:23 AM (IST)
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Pakistan: मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों को कम करने के लिए संसद में बिल पेश
इस्लामाबाद, एजेंसी। आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में प्रधान न्यायाधीश की विवेकाधीन शक्तियों को कम करने की तैयारी हो रही है।

जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने 28 मार्च को सदन में सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) बिल, 2023 पेश किया है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश की ओर से स्वत: संज्ञान लेने की विवेकाधीन शक्तियों को सीमित करना है।

सीनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा

हाउस ने प्रस्तावित बिल को आगे की मंजूरी के लिए नेशनल असेंबली (एनए) स्टैंडिंग कमेटी ऑन लॉ एंड जस्टिस को भेज दिया है, जो बुधवार सुबह चौधरी महमूद बशीर विर्क की अध्यक्षता में फैसला सुनाएगी। कमेटी इसे वापस निचले सदन में भेजेगी। एनए के बिल पास होने के बाद इसे सीनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

पाकिस्तान सरकार ने क्यों सुनाया ऐसा फैसला

पाकिस्तान सरकार का ऐसा फैसला सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों - जस्टिस सैयद मंसूर अली शाह और जस्टिस जमाल खान मंडोखैल द्वारा पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों पर सवाल उठाए जाने के एक दिन बाद आया है। दोनों न्यायाधीशों ने कहा कि शीर्ष अदालत एक व्यक्ति, मुख्य न्यायाधीश के एकान्त निर्णय पर निर्भर नहीं रह सकती है।

27 पन्नों की जारी की असहमति नोट

न्यायमूर्ति शाह और न्यायमूर्ति मंडोखैल ने पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में शीर्ष अदालत के 1 मार्च के फैसले के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए 27 पन्नों की असहमति नोट में लिखा, 'न्यायालय को संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत न्यायालय के सभी न्यायाधीशों द्वारा अनुमोदित नियम-आधारित प्रणाली के माध्यम से विनियमित किया जाना चाहिए।'

पाक पीएम शहबाज शरीफ ने की मांग

नेशनल असेंबली सत्र के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस संबंध में संसदीय कार्रवाई की मांग की। शहबाज शरीफ ने कहा, 'न्यायपालिका से ही उठ रही बदलाव की आवाज निश्चित तौर पर देश के लिए उम्मीद की किरण है।' समाचार रिपोर्ट के अनुसार शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने न्यायपालिका पर 'बेंच-फिक्सिंग' का आरोप लगाया है।

सदन के पटल पर बोलते हुए, पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने कहा कि सूओ मोटो नोटिस के नाम पर की गई कार्रवाई से सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। तरार ने कहा कि दो न्यायाधीशों के असहमति नोट ने और चिंता पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि स्वत: संज्ञान लेकर लिए गए फैसलों के खिलाफ पहले अपील नहीं की जा सकती थी। उन्होंने आगे कहा, 'आदेश के खिलाफ अपील करने का मौका देना महत्वपूर्ण है और संसद ने हमेशा मांग की है कि अपील करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।'

क्या है इस बिल में?

इस विधेयक में मुख्य न्यायाधीश से स्वत: संज्ञान लेने की शक्तियों को तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों वाली तीन सदस्यीय समिति में स्थानांतरित करना शामिल है। इसके अलावा, बिल में निर्णय को चुनौती देने के अधिकार के संबंध में एक खंड शामिल है जिसे 30 दिनों के भीतर दाखिल किया जा सकता है और दो सप्ताह के समय में सुनवाई के लिए तय किया जाएगा।

विधेयक के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के सामने अपील या मामले को पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठ न्यायाधीशों वाली समिति द्वारा गठित पीठ द्वारा सुना और निपटाया जाएगा। विधेयक में यह भी कहा गया है कि समिति का निर्णय बहुमत के अनुसार किया जाएगा।