पाकिस्तान के हाथों से निकलता दिख रहा खैबर पख्तूनख्वा, सेना पर भारी पड़ रहे आतंकी
पाकिस्तान इन दिनों चुनाव को लेकर तैयारियों में लगा हुआ है जिसके कारण उसने अपनी सीमाओं पर सुरक्षा मुद्दों को अनदेखा कर दिया है। इसका फायदा उठाते हुए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकी समूह लगातार खैबर पख्तूनख्वा (केपी) पर हमले कर रहा है।
By Edited By: Praveen Prasad SinghUpdated: Tue, 27 Dec 2022 07:36 PM (IST)
खैबर पख्तूनख्वा (एएनआई)। पाकिस्तान का एक राज्य उसके हाथों से निकलता हुआ नजर आ रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान इन दिनों चुनाव की वजह से अपनी सीमाओं पर सुरक्षा मुद्दों को अनदेखा कर रहा है। इसके कारण अफगानिस्तान से सटे पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में आए दिन हमले हो रहे हैं। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे ने कई अन्य आतंकी समूहों को पाकिस्तान में अपने आतंकवादी अभियान का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित कर दिया है।
पहले भी जिहादियों को समर्थन देता रहा है पाकिस्तान
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकी समूह ने 28 नवंबर को इस्लामाबाद के साथ शांति वार्ता पूरी तरह से खत्म कर दी। इसके बाद से ही पाकिस्तानी सैनिकों को खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में लगातार संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। आपको बता दें, 1970 के दशक के अंत से पाकिस्तान ने खुले तौर पर अफगानिस्तान में इस्लामिक जिहाद का समर्थन किया है। इसने यह कभी नहीं सोचा कि यह आतंकी समूह कभी उसपर ही भारी पड़ सकते हैं।
पिछले साल आतंकियों ने किए 165 हमले
केवल पिछले साल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, गुल बहादुर समूह, इस्लामिक स्टेट-खुरासन और कई अन्य समूह के आतंकवादियों ने कथित तौर पर केपी प्रांत में कम से कम 165 हमले किए थे। इन सभी हमलों में से 115 हमले अकेले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की ओर से अंजाम दिए गए थे।लोगों को छुड़ाने के लिए चलाना पड़ा था सैन्य अभियान
18 दिसंबर को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों ने केपी प्रांत के उत्तर-पश्चिमी बन्नू के एक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। जिसके कारण दो दिन का सुरक्षा संकट उत्पन्न हो गया। फिर पाकिस्तानी सेना को बंधकों को मुक्त कराने के लिए एक सैन्य अभियान चलाना पड़ा। इसी तरह, 20 दिसंबर को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादी जबरन दक्षिण वजीरिस्तान के वाना में एक पुलिस स्टेशन में घुस गए और हथियार व गोला-बारूद लूटकर फरार हो गए। इन सभी घटनाओं को देखते हुए यह कयास लगाया जा रहा है कि केपी पर आतंकियों की निगाह है और वह पाकिस्तान के ढीले रवैया से इसपर कब्जा करने कामयाब हो सकते हैं।
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