Pakistan: कंगाली के बाद पाक पर गहराएगा बिजली संकट, अगले दस सालों में 48 प्रतिशत बढ़ेगी मांग
पाकिस्तान इन दिनों कई तरह की परेशानियों से जूझ रहा है इसी बीच बिजली की आपूर्ति पाक के लिए एक नई चुनौती बनकर उभर सकता है। दरअसल एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दशक में देश में बिजली की मांग 48 प्रतिशत बढ़ जाएगी जिसके लिए पाकिस्तान को संबंधित समय सीमा के भीतर बिजली संयंत्र बनाने और अतिरिक्त सस्ते बिजली स्रोत लाने की आवश्यकता हो सकती है।
By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 29 Jul 2023 12:11 PM (IST)
इस्लामाबाद, एएनआई। बिजली की बढ़ती मांग के बाद, पाकिस्तान को संबंधित समय सीमा के भीतर बिजली संयंत्र बनाने और अतिरिक्त सस्ते बिजली स्रोत लाने की आवश्यकता हो सकती है। एक अध्ययन के आधार पर स्थानीय न्यूज एजेंसी द न्यूज इंटरनेशनल ने एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है।
अगले दशक में 48 प्रतिशत बढ़ सकती है बिजली की मांग
अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि पाकिस्तान की बिजली की मांग अगले दशक में 48 प्रतिशत बढ़ेगी, जो वर्ष 2022 में 154 टेरावॉट-घंटे से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2031 में 228 टेरावॉट-घंटे हो जाएगी। बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, पाकिस्तान को अतिरिक्त बिजली का निर्माण और उसे राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ना होगा।
उच्च परिचालन लागत के कारण बढ़ा वित्तीय बोझ
पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर इक्विटेबल डेवलपमेंट (PRIED) और रिन्यूएबल्स फर्स्ट द्वारा किए गए लेटेस्ट अध्ययन 'पावरिंग पाकिस्तान' में कहा गया है, "मौजूदा बिजली संयंत्र में उच्च परिचालन लागत के कारण वित्तीय बोझ बढ़ रहा है, जिससे सस्ते बिजली स्रोतों के साथ उनके विस्थापन की आवश्यकता होगी।"अगले दशक में 30 गीगावॉट नए बिजली संयंत्र बनेंगे
आईजीसीईपी एक व्यापक योजना दस्तावेज है, जिसे नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेगुलरिटी अथॉरिटी (एनईपीआरए) द्वारा अनुमोदित किया गया है और इसे नेशनल ट्रांसमिशन डिस्पैच कंपनी (एनटीडीसी) द्वारा सालाना तैयार किया जाता है। लेटेस्ट अनुमोदित आईजीसीईपी में कहा गया है कि अगले दशक में लगभग 30 गीगावॉट नए बिजली संयंत्र बनाए जाएंगे और राष्ट्रीय ग्रिड में एकीकृत किए जाएंगे।40 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता
हालांकि, द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, इस पहल के लिए लगभग 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अरबों डॉलर के महंगे और अकुशल बिजली संयंत्रों के निर्माण के जोखिम का सामना कर रहा है। इस तरह के लापरवाह फैसलों का बोझ पाकिस्तान की जनता के कंधों पर पड़ेगा और आने वाले सालों में इन लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।