Pakistan News: PTI ने उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज किए जाने चुनाव आयोग की निंदा की, कहा- 'ये राज्य आतंकवाद है'
अयूब ने पीटीआई उम्मीदवारों के कागजात खारिज करने की निंदा की और इसे रिटर्निंग अधिकारियों (आरओ) पर दबाव बताया। उनका दावा है कि पीटीआई उम्मीदवारों को मामूली आधार पर खारिज करने के लिए आरओ के सॉफ्टवेयर को अपडेट किया गया है। पीटीआई के केंद्रीय सूचना सचिव रऊफ हसन ने राज्य के हस्तक्षेप को खुला राज्य आतंकवाद करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आह्वान किया।
एएनआई, इस्लामाबाद। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने अपने कई चुनाव उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की अस्वीकृति को राज्य का आतंकवाद करार दिया है। पीटीआई के महासचिव उमर अयूब खान ने चुनाव से पहले धांधली को लेकर राजनीतिक अस्थिरता की चेतावनी दी है।
वरिष्ठ और रिटर्निंग अधिकारियों पर लगाया आरोप
अयूब ने पीटीआई उम्मीदवारों के कागजात खारिज करने की निंदा की और इसे रिटर्निंग अधिकारियों (आरओ) पर दबाव बताया। उनका दावा है कि पीटीआई उम्मीदवारों को मामूली आधार पर खारिज करने के लिए आरओ के सॉफ्टवेयर को अपडेट किया गया है। साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया कि पीएमएल-एन, पीपीपी, जेयूआई-एफ और एमक्यूएम-पाकिस्तान सहित विपक्षी दलों पर निष्पक्ष चुनाव में पीटीआई का सामना करने का साहस नहीं है।
उन्होंने कहा, "इन पार्टियों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में पीटीआई के खिलाफ लड़ने का साहस होना चाहिए, ताकि लोगों की इच्छा के अनुसार एक सरकार उभरे जो देश को मौजूदा हालात से बाहर निकाल सके।"
विपक्षी दलों से निष्पक्ष चुनाव लड़ने का आग्रह
अयूब ने पूर्व पीटीआई नेता उस्मान डार के भाई उमर डार की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे जबरन गायब करना बताया। उन्होंने विपक्षी दलों से लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करने वाली सरकार के लिए निष्पक्ष चुनाव लड़ने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "वह उस्मान डार का भाई है, जो अपने जबरन साक्षात्कार के प्रसारित होने तक खुद गायब था। वह रेहाना डार साहिबा का बेटा है, जिसने पीएमएल-एन नेता ख्वाजा आसिफ के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए सियालकोट से अपना नामांकन पत्र जमा किया है।"
सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग
पीटीआई के केंद्रीय सूचना सचिव रऊफ हसन ने राज्य के हस्तक्षेप को खुला राज्य आतंकवाद करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आह्वान किया। उन्होंने कागजात जमा करने में बाधा डालने और फर्जी आधार पर उन्हें खारिज करने के लिए चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त की आलोचना की। पीटीआई ने तर्क दिया कि नामांकन पत्रों की अस्वीकृति निष्पक्ष चुनाव में बाधा डालने के लिए विरोधी दलों की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा थी।
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