Pakistan: नवाज शरीफ को मिली बड़ी राहत, तोशाखाना केस समेत दो मामलों में मिली जमानत
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PML-N) के अध्यक्ष नवाज शरीफ को अल-अजीजिया मामले में मिली सजा को अंतरिम पंजाब कैबिनेट ने निलंबित कर दिया है। जिससे इस मामले में अब नवाज शरीफ की गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी। मालूम हो कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने चार साल के लंबे अंतराल के बाद लंदन से शनिवार को वतन वापसी की है।
By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Tue, 24 Oct 2023 04:15 PM (IST)
एजेंसी, इस्लामाबाद। पाकिस्तान मुस्लिम लीग के अध्यक्ष नवाज शरीफ को अल-अजीजिया मामले में मिली सजा को अंतरिम पंजाब कैबिनेट ने निलंबित कर दिया है। इस बात की जानकारी स्थानीय समाचार एजेंसी जियो न्यूज की ओर से दी गई है।
दोबारा शुरू होंगे अदालती मामले
चार साल के आत्म-निर्वासन के बाद लंदन से लौटने के बाद पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ मंगलवार को अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों के सिलसिले में एक स्थानीय अदालत में पेश हुए। तीन बार प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सुप्रीमो 73 वर्षीय शरीफ के अदालती मामले फिर से शुरू होने वाले हैं, जो उनकी अनुपस्थिति के कारण रुक गए थे।
नवाज की उपस्थिति थी जरूरी
शरीफ, इस्लामाबाद स्थित न्यायाधीश मुहम्मद बशीर की जवाबदेही अदालत में उपस्थिति हुए, जिन्होंने चार साल बाद पाकिस्तान लौटने की सुविधा के लिए तोशाखाना मामले में उनकी गिरफ्तारी के आदेश को निलंबित कर दिया था। नवाज की उपस्थिति यह दिखाने के लिए महत्वपूर्ण थी कि उसने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। न्यायाधीश द्वारा अदालत कक्ष में नवाज की उपस्थिति देखने के बाद जाने की अनुमति दे दी गई।मालूम हो कि बशीर वही जज हैं, जिन्होंने उन्हें एवेनफील्ड मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने शरीफ के गिरफ्तारी वारंट को मंगलवार तक के लिए निलंबित कर दिया था।यह भी पढ़ें: Pakistan Cipher Case: क्या है सिफर मामला जिसमें इमरान खान करार दिए गए दोषी, चुनाव लड़ने पर भी है प्रतिबंध
दी गई सुरक्षात्मक जमानत
इस मामले में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह-अध्यक्ष आसिफ जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी भी सह-आरोपी हैं। बाद में, शरीफ को एवेनफील्ड और अल-अजीजिया मामलों के संबंध में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के समक्ष पेश होना है। अदालत ने उन्हें मंगलवार तक के लिए सुरक्षात्मक जमानत दे दी थी। उन्होंने दोषसिद्धि के खिलाफ अपनी याचिकाओं को पुनर्जीवित करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख भी किया था।