पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से वैश्विक सुरक्षा को खतरा, इस रिपोर्ट में किए गए चौंकाने वाले दावे
भले ही पाकिस्तान अपनी छवि को साफ दिखाने की कोशिश करता है। लेकिन पाकिस्तान से जुड़ी रिपोर्ट सामने आने के बाद कई सवाल खड़े होने लगते हैं। ऐसी ही एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
By Mohd FaisalEdited By: Updated: Sat, 26 Mar 2022 02:18 PM (IST)
इस्लामाबाद, एएनआइ। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहते हैं। ऐसे में पाकिस्तान में आतंकवाद, राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ते कट्टरपंथ पर एक मीडिया रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान एक परमाणु असुरक्षित देश के रूप में योग्य है। जो वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
क्या कहती है रिपोर्टजियोपॉलिटिक की रिपोर्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी मामलों में पाकिस्तान की साख संतोषजनक है। जबकि परमाणु क्षमता वाले देश को राजनीतिक परिपक्वता, संस्थागत ताकत, संयम और पहले उपयोग की नीति के आधिकारिक पालन के साथ चिह्नित किया जाना चाहिए। जिस तरह से तहरीक-ए-लबैक (टीएलपी) और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पिछले दो वर्षों के दौरान सरकार को अपनी मांगों के लिए आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिहादियों द्वारा पाकिस्तानी परमाणु शस्त्रागार पर नियंत्रण करने की भी आशंका बढ़ रही है।
पाकिस्तानी सेना पर उठे सवालपाकिस्तान में बढ़ते कट्टरपंथ के बारे में रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के क्रमिक कट्टरपंथीकरण ने रक्षा तंत्र पर हमला करने के लिए जिहादी संगठनों के साथ गठबंधन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की परमाणु-सशस्त्र सेना में आतंकवादी घुसपैठ की सीमा तब स्पष्ट हो गई। जब आतंकवादियों ने अंदरूनी लोगों से कथित खुफिया सहायता के साथ काम करते हुए पाकिस्तान के सबसे बड़े नौसैनिक ठिकानों में से एक कराची के पास मेहरान नेवल बेस पर हमला किया। इतना ही नहीं, पाकिस्तान को लेकर रिपोर्ट में बताया गया है कि एक और बड़ा जोखिम उस वक्त उत्पन्न होता है। जब पाकिस्तान ने परमाणु हथियार विकसित किए हैं और पश्चिमी देशों से चुराई गई तकनीक का उपयोग करके और अंतरराष्ट्रीय ग्रे नेटवर्क हासिल किया है।
विश्लेषकों ने क्या कहाकुछ विश्लेषकों के अनुसार, देश ने कई वर्षों तक अपने राजनयिक मिशनों और अन्य एजेंसियों से परमाणु तस्करी का गिरोह चलाया। जिसका नेतृत्व पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के तथाकथित पिता अब्दुल कादिर खान ने किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों को परमाणु प्रौद्योगिकी निर्यात करने में इस नेटवर्क की भूमिका थी। रिपोर्ट में दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी के आयात का दोहन करके पाकिस्तान के परमाणु कौशल के अनियंत्रित विस्तार को पूरी दुनिया और विशेष रूप से दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सामने एक जोखिम के रूप में उजागर किया गया है। रिपोर्ट में नार्वे की सुरक्षा एजेंसियों की हालिया खतरे के आकलन रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि पाकिस्तान सबसे बड़ा परमाणु खतरा पैदा करने वाले देशों में से है। जो अपने परमाणु कार्यक्रम की सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रित वस्तुओं और प्रौद्योगिकियों की खरीद में दुनिया को गुमराह कर रहा है।