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Pakistan Election: पाकिस्तान में कैसे होता है आम चुनाव, पड़ोसी मुल्क में PM बनने की ये है पूरी प्रक्रिया

General Election in Pakistan पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नेशनल असेंबली भंग कर दी है। पाकिस्तान संविधान के मुताबिक 90 दिनों के भीतर देश में आम चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग अब बाध्य है। शहबाज सरकार की विदाई के बाद अब देश का कमान केयरटेकर सरकार संभालेगी। आइए समझते हैं कि केयरटेकर सरकार की क्या भूमिका होती है। वहीं देश में आम चुनाव की क्या प्रक्रिया है।

By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 10 Aug 2023 12:34 PM (IST)
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Pakistan Parliament Dissolved: शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है। (फोटो सोर्स: जागरण)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने बुधवार (9 अगस्त) देर रात संसद (नेशनल असेंबली) भंग कर दी। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने आधी रात को संसद भंग (Pakistan National Assembly)  करने की मंजूरी दे दी।

एक तरफ जहां पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के नेता इमरान खान जेल में बंद हैं। वहीं, दूसरी ओर उम्मीद जताई जा रही है कि अगले तीन महीनों के अंदर वहां आम चुनाव हो सकते हैं। बता दें कि पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से तीन दिन पहले ही नेशनल असेंबली को भंग कर दिया गया। इसके पीछे शहबाज शरीफ की मंशा है कि उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और दूसरे राजनीतिक दलों को चुनाव की तैयारियों के लिए ज्यादा से ज्यादा वक्त मिले।

90 दिन के बाद होगा आम चुनाव

पाकिस्तान की संविधान के अनुसार, नेशनल असेंबली अपना कार्यकाल पूरा करती है तो चुनाव आयोग को दो महीने के भीतर देश में नए चुनाव कराने होंगे। वहीं यदि, असेंबली कार्यकाल पूरा हुए बिना भंग की गई तो 90 दिन के भीतर चुनाव आयोग को देश चुनाव कराने होंगे। यानी अब पाकिस्तान की राजनीतिक दलों को चुनाव की तैयारियों के लिए 30 दिन का अतिरिक्त समय मिलेगा।

अब केयरटेकर सरकार के सहारे पाकिस्तान

पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 52 के अनुसार सरकार के पांच साल पूरे होने पर नेशनल असेंबली को भंग करना जरूरी है। संसद को भंग करने का मतलब है कि देश में चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है। वहीं, आर्टिकल 58 के अनुसार, अगर राष्ट्रपति पीएम की सिफारिश पर 48 घंटों के भीतर असेंबली भंग नहीं करते, तो असेंबली को खुद ब खुद भंग मान लिया जाता है।

असेंबली भंग होने के बाद नेशनल असेंबली सचिवालय द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी की जाती है। शहबाज सरकार की विदाई के बाद अब देश की कमान केयरटेकर सरकार संभालेगी।

क्या है केयरटेकर सरकार की कहानी? 

आइए समझते हैं कि केयरटेकर सरकार क्या होती है।अब जब तक पाकिस्तान में चुनाव प्रक्रिया के जरिए नई सरकार का गठन न हो जाए तब तक केयरटेकर सरकार ही देश की देखरेख करेगी। केयरटेकर सरकार देश में निष्पक्ष चुनाव के लिए अनुकूल माहौल तैयार करेगी। केयरटेकर सरकार में भी प्रधानमंत्री की नियुक्ति होती है।

प्रधानमंत्री और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता की आम सहमति से राष्ट्रपति को केयरटेकर प्रधानमंत्री के नाम की सिफारिश की जाती है। इस सिफारिश के जरिए राष्ट्रपति उनकी मंजूरी करते हैं। केयरटेकर प्रधानमंत्री के लिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और बलूचिस्तान से निर्दलीय सांसद असलम भूटानी की नाम चर्चा में हैं।

क्या करेगी केयरटेकर सरकार? 

  • देश को नियमित रूप से चलाने का काम करेगी।
  • चुनाव के लिए देश में अनुकूल माहौल तैयार करेगी।
  • देश के सभी राजनीतिक दल के प्रति निष्पक्ष रहकर काम करेगी।

क्या नहीं करेगी केयरटेकर सरकार? 

  • देश के प्रमुख नीतिगत निर्णय नहीं लेगी।
  • वैश्विक मामलों में दखल नहीं देगी।
  • अंतरराष्ट्रीय वार्ता में शामिल नहीं होगी।
  • अंतरराष्ट्रीय बाध्यकारी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करेगी।
  • देश के प्रमुख सरकारी अधिकारियों का तबादला नहीं कर सकती।

 पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनने का क्या है प्रॉसेस?

जिस तरह भारत में लोकसभा सदस्य के लिए चुनाव होते हैं, उसी तरह पाकिस्तान में नेशनल असेंबली के सदस्य के लिए चुनाव होते हैं। वर्तमान में नेशनल असेंबली में 342 सीटें होती हैं,जिनमें 243 सीटों पर चुनाव होते हैं और बाकी के 70 सीटें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। 10 सीटें पाकिस्तान की पारंपरिक और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षित होती हैं।

पाकिस्तान की संसद को मजलिस-ए-शूरा कहा जाता है और निचले सदन यानी राष्ट्रीय असेंबली को कौमी इस्म्ब्ली कहा जाता है। वहीं उच्च सदन यानी सीनेट को आइवान-ए बाला कहा जाता है।

नेशनल असेंबली मेंबर कैसे चुनते हैं अपना नेता?

आइए अब यह समझते हैं कि नेशनल असेंबली मेंबर अपना नेता कैसे चुनते हैं। दरअसल, पाकिस्तान एक इस्लामिक गणराज्य है, इसलिए एक मुस्लिम धर्म को मानने वाला नेता ही देश का प्रधानमंत्री बन सकता है।

नेशनल असेंबली का नेता चुनने के लिए सदन में सबसे पहले स्पीकर के आदेश पर घंटी बजाकर सभी नेशनल असेंबली सदस्यों कोल चैंबर में बुलाया जाता है। इसके बाद असेंबली के दरवाजे बंद किए जाते हैं। असेंबली के दरवाजे बंद होने के बाद कोई सदस्य असेंबली के अंदर नहीं आ सकते और न ही बाहर जा सकते हैं।

वोटिंग करने के बाद तुरंत शुरू होती है गिनती 

इसके बाद स्पीकर नॉमिनेटेड कैंडिडेट्स के नाम का एलान करते हैं। इसके बाद असेंबली के सदस्य नॉमिनेटेड कैंडिडेट्स के लिए वोटिंग करते हैं। वोटिंग के बाद असेंबली मेंबर्स, चैंबर से बाहर चले जाते हैं। वोटिंग के बाद जब तक वोटों की गिनती नहीं होती तब तक असेंबली मेंबर्स को चैंबर में आने का आदेश नहीं है। बता दें कि वोटों की तुरंत गिनती होती है। 

वोटिंग की गिनती होने के बाद दो मिनट के लिए फिर घंटी बजाई जाती है और सदस्यों को बुलाया जाता है। इसके बाद स्पीकर मतदान के परिणाम की घोषणा करते हैं।