चीन ने दिखाया डर तो भारत की तरफ बढ़ाया इमरान ने हाथ, कितनी हकीकत कितना फसाना
इमरान खान की सरकार ने देश में 100 दिन पूरे कर लिए हैं। भारत से दोस्ती की अपील करने से पहले वह ये भूल गए कि आतंकियों के खात्मे के लिए उन्होंने कुछ किया ही नहीं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 30 Nov 2018 07:38 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व में बनी सरकार के सौ दिन पूरे होने के बाद वहां से एक बार फिर भारत से संबंध मजबूत करने की बात कही जा रही है। अव्वल तो इस तरह की बयानबाजी वहां के लगभग हर प्रधानमंत्री की तरफ से अब तक कही गई है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत बेहद खोखली ही रही है। यही वजह है कि इतने वर्षों के बाद भी दोस्ती की राह मजबूत नहीं हो सकी। करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत के दौरान जब पीएम इमरान खान ने कहा कि हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम जैसे मसले उनकी सरकार को विरासत में मिले हैं। वह इसकी जिम्मेदारी नहीं ले सकते। तो वहां मौजूद कई लोगों की भौहें जरूर टेढ़ी हो गई होंगी।
चीन से आया संदेश बना परेशानी की वजह
पाकिस्तान की तरफ से इमरान का भारत से दोस्ती का संदेश ऐसे समय में आया है जब चीन ने भी उसको कश्मीर के मसले पर जबरदस्त झटका दिया है। दरअसल चीन के सरकारी चैनल ने पाक अधिकृत कश्मीर को भारत के राज्य जम्मू कश्मीर में दिखाकर कहीं न कहीं अपनी बदलती रणनीति की एक झलक दी है। ऐसा पहली बार हुआ जब चीन की तरफ से इस इलाके को पूरे जम्मू कश्मीर के साथ दिखाया गया था। अब तक चीन इस इलाके को या तो विवादित बताता आया था या फिर पाकिस्तान का बताता आया था। आपको बता दें यह वही इलाका है जहां से दोनों देशों के बीच बनने वाला इकनॉमिक कॉरिडोर है। इस पर चीन अरबों डॉलर खर्च कर रहा है। हर सरकार में हाफिज की आहट
इसमें कोई दोराहा नहीं है कि इमरान की हो या किसी दूसरे की सरकार वहां पर हाफिज सईद की आहट हमेशा बनी रहती है। अभी ज्यादा समय नहीं बीता है जब पिछले माह अक्टूबर में इमरान खान के धार्मिक मामलों के मंत्री नूर उल हक कादरी ने मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद के साथ मंच शेयर किया था। इसकी तस्वीरें बाकायदा सभी अखबारों में दिखाई दी थी। ऐसे में इमरान खान द्वारा हाफिज सईद को लेकर बयान देना कितना संतोषजनक है इसका जवाब तो वक्त बीतने के साथ ही पता चल पाएगा।
पाकिस्तान की तरफ से इमरान का भारत से दोस्ती का संदेश ऐसे समय में आया है जब चीन ने भी उसको कश्मीर के मसले पर जबरदस्त झटका दिया है। दरअसल चीन के सरकारी चैनल ने पाक अधिकृत कश्मीर को भारत के राज्य जम्मू कश्मीर में दिखाकर कहीं न कहीं अपनी बदलती रणनीति की एक झलक दी है। ऐसा पहली बार हुआ जब चीन की तरफ से इस इलाके को पूरे जम्मू कश्मीर के साथ दिखाया गया था। अब तक चीन इस इलाके को या तो विवादित बताता आया था या फिर पाकिस्तान का बताता आया था। आपको बता दें यह वही इलाका है जहां से दोनों देशों के बीच बनने वाला इकनॉमिक कॉरिडोर है। इस पर चीन अरबों डॉलर खर्च कर रहा है। हर सरकार में हाफिज की आहट
इसमें कोई दोराहा नहीं है कि इमरान की हो या किसी दूसरे की सरकार वहां पर हाफिज सईद की आहट हमेशा बनी रहती है। अभी ज्यादा समय नहीं बीता है जब पिछले माह अक्टूबर में इमरान खान के धार्मिक मामलों के मंत्री नूर उल हक कादरी ने मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद के साथ मंच शेयर किया था। इसकी तस्वीरें बाकायदा सभी अखबारों में दिखाई दी थी। ऐसे में इमरान खान द्वारा हाफिज सईद को लेकर बयान देना कितना संतोषजनक है इसका जवाब तो वक्त बीतने के साथ ही पता चल पाएगा।
ये सब भूल गए इमरान
इमरान ने भले ही सभी बातों को भुलाकर भारत को आगे बढ़कर दोस्ती पर जोर देने की अपील की है, लेकिन वह यह भूल गए हैं कि उनकी सरकार के सौ दिन पूरे होने के बाद भी पाकिस्तान की कोर्ट में मुंबई हमले का मामला अब तक निलंबित है। इसके अलावा उनकी सौ दिन की सरकार के दौरान हाफिज सईद ही नहीं बल्कि किसी भी एक आतंकी या आतंकी संगठन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लेकिन इसके उलट भारत के अंदर आतंकियों की घुसपैठ बादस्तूर जारी है।
इमरान ने भले ही सभी बातों को भुलाकर भारत को आगे बढ़कर दोस्ती पर जोर देने की अपील की है, लेकिन वह यह भूल गए हैं कि उनकी सरकार के सौ दिन पूरे होने के बाद भी पाकिस्तान की कोर्ट में मुंबई हमले का मामला अब तक निलंबित है। इसके अलावा उनकी सौ दिन की सरकार के दौरान हाफिज सईद ही नहीं बल्कि किसी भी एक आतंकी या आतंकी संगठन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लेकिन इसके उलट भारत के अंदर आतंकियों की घुसपैठ बादस्तूर जारी है।
जानते हुए भी कार्रवाई से ऐतराज
जानकार ये भी मानते हैं कि इमरान भले ही हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम की जिम्मेदारी नहीं ले सकते हैं लेकिन भारत से दोस्ती करने का राग अलापने से पहले इन जैसे तमाम लोगों पर कार्रवाई तो कर ही सकते हैं, जो अब तक नहीं हुई है। इतना ही नहीं इमरान ने जहां भारत से दोस्ती की बात की वहीं एक बार फिर से कश्मीर का राग अलापने से भी वह नहीं चूके। उन्होंने यहां तक कह डाला कि यह मसला दूसरों से अलग है और अगर कुछ न हो सके तो हम भारत सरकार से चाहेंगे कि वह कश्मीर के लोगों के लिए कुछ तो कर दे। उनका यह भी कहना था कि पाकिस्तान की जमीन से दूसरे देशों में आतंकी गतिविधियों की इजाजत उनके देश के हित में नहीं है। दूसरे नेताओं की राह पर इमरान
इमरान ने बाकी पाकिस्तानी नेताओं की तरह ही यह बात कहने से गुरेज नहीं किया कि यह मामला कोर्ट में है और वह अपना काम कर रहा है। इसके अलावा दाऊद इब्राहिम पर भी वह भ्रम ही फैलाते दिखाई दिए हैं। दरअसल, पाकिस्तान की राजनीति के इर्दगिर्द घूमते हाफिज सईद के बिना वहां पर कोई सरकार काम नहीं करती है। हाफिज समेत सभी आतंकी संगठनों और सेना का गठजोड़ वहां पर कोई नई बात नहीं है। वहीं भारत से दोस्ती की बात हमेशा से ही पाक सेना खारिज करती रही है। जब जब इस तरह की कोई कोशिश हुई है तब तब सेना ने वहां की सरकार को जबरदस्त झटका दिया है। भले ही वह मुशर्रफ के समय का वाकया हो या उससे पहले का। जानकार इस बारे में बेहद साफ राय रखते हैं कि पाकिस्तान की राजनीति में जिसको सेना का समर्थन हासिल होगा वही वहां पर सरकार बनाता है। जब तक वह सेना का समर्थक रहेगा तब तक वह गद्दी पर बना रहेगा, जहां इससे इतर हुआ तो गद्दी से गिरा दिया जाएगा। फ्रांस में उत्तर कोरिया के किम जोंग उन ने लगवा दी सेंध, हैरत में है सरकार
चीन ने पाकिस्तान को दिया जोर का झटका, तो भारत के लिए आई एक अच्छी खबर
जानकार ये भी मानते हैं कि इमरान भले ही हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम की जिम्मेदारी नहीं ले सकते हैं लेकिन भारत से दोस्ती करने का राग अलापने से पहले इन जैसे तमाम लोगों पर कार्रवाई तो कर ही सकते हैं, जो अब तक नहीं हुई है। इतना ही नहीं इमरान ने जहां भारत से दोस्ती की बात की वहीं एक बार फिर से कश्मीर का राग अलापने से भी वह नहीं चूके। उन्होंने यहां तक कह डाला कि यह मसला दूसरों से अलग है और अगर कुछ न हो सके तो हम भारत सरकार से चाहेंगे कि वह कश्मीर के लोगों के लिए कुछ तो कर दे। उनका यह भी कहना था कि पाकिस्तान की जमीन से दूसरे देशों में आतंकी गतिविधियों की इजाजत उनके देश के हित में नहीं है। दूसरे नेताओं की राह पर इमरान
इमरान ने बाकी पाकिस्तानी नेताओं की तरह ही यह बात कहने से गुरेज नहीं किया कि यह मामला कोर्ट में है और वह अपना काम कर रहा है। इसके अलावा दाऊद इब्राहिम पर भी वह भ्रम ही फैलाते दिखाई दिए हैं। दरअसल, पाकिस्तान की राजनीति के इर्दगिर्द घूमते हाफिज सईद के बिना वहां पर कोई सरकार काम नहीं करती है। हाफिज समेत सभी आतंकी संगठनों और सेना का गठजोड़ वहां पर कोई नई बात नहीं है। वहीं भारत से दोस्ती की बात हमेशा से ही पाक सेना खारिज करती रही है। जब जब इस तरह की कोई कोशिश हुई है तब तब सेना ने वहां की सरकार को जबरदस्त झटका दिया है। भले ही वह मुशर्रफ के समय का वाकया हो या उससे पहले का। जानकार इस बारे में बेहद साफ राय रखते हैं कि पाकिस्तान की राजनीति में जिसको सेना का समर्थन हासिल होगा वही वहां पर सरकार बनाता है। जब तक वह सेना का समर्थक रहेगा तब तक वह गद्दी पर बना रहेगा, जहां इससे इतर हुआ तो गद्दी से गिरा दिया जाएगा। फ्रांस में उत्तर कोरिया के किम जोंग उन ने लगवा दी सेंध, हैरत में है सरकार
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