Move to Jagran APP

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने माना- मुश्किल में फंसा उनका देश, बोले- IMF ने कर्ज के बदले रखी कड़ी शर्त

Pakistan Crisis पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कर्ज देने के लिए कड़ी शर्तें रखी हैं। अकल्पनीय स्थिति से निपटने के लिए सरकार के लिए यह मुश्किल समय है। File Photo

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 03 Feb 2023 08:30 PM (IST)
Hero Image
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने माना- मुश्किल में फंसा उनका देश
इस्लामाबाद, पीटीआई। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कर्ज देने के लिए कड़ी शर्तें रखी हैं। अकल्पनीय स्थिति से निपटने के लिए सरकार के लिए यह मुश्किल समय है। उन्होंने कहा कि मजबूरी यह है कि हमें आईएमएफ की शर्तें माननी होंगी।

कर्ज के लिए मुश्किल में फंसा पाकिस्तान

प्रधानमंत्री शरीफ ने आईएमएफ की कड़ी शर्तों के बारे में नहीं बताया है। आईएमएफ सात अरब डॉलर के कर्ज की पहली किस्त के रूप में 1.18 अरब डॉलर की रकम देने से पहले आर्थिक स्थिति की समीक्षा कर रहा है। इसके लिए आईएमएफ के अधिकारियों का दल इन दिनों पाकिस्तान में है।

आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने रखी कई शर्त

आईएमएफ के अधिकारी पाकिस्तानी वित्त मंत्री इशाक डार, ऊर्जा मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान और उच्च अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं। बातचीत में आईएमएफ अधिकारियों ने बिजली मूल्य में बढ़ोतरी करने के लिए कहा है। साथ ही सरकार और सेना के खर्चों में कमी करने के लिए भी कहा है।

गंभीर संकट से जूझ रहा है पाकिस्तान

जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान सरकार पेट्रोलियम पदार्थों का मूल्य और बढ़ाने के लिए तैयार है, लेकिन आईएमएफ राजस्व बढ़ाने के लिए कई कदमों की अपेक्षा रखता है। दोनों पक्षों में बैठकों का सिलसिला नौ फरवरी तक जारी रहेगा। आईएमएफ के साथ पाकिस्तान की यह वार्ता तब चल रही है, जब उसके पास महज 3.09 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा बाकी बची है।

पाकिस्तान के पास केवल 18 दिन का विदेशी मुद्रा

बता दें कि पाकिस्तान इस धनराशि से केवल 18 दिन ही आवश्यक वस्तुओं का आयात कर सकता है। पाकिस्तान के पास यह बचत 27 जनवरी को खत्म हुए सप्ताह के दिन थी। विदेशी मुद्रा का यह भंडार पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है।

यह भी पढ़ें: New Income Tax Slab 2023: अगर पर्याप्त कटौती है तो ओल्ड स्कीम आपके लिए बेहतर, नहीं तो नई स्कीम में ही फायदा

यह भी पढ़ें: Fact Check: यूएई के शहर का नाम ‘अल हिंद’ रखने के पीछे नहीं है हिंदुस्तान से कोई लेना-देना