Move to Jagran APP

पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति आरिफ अल्‍वी के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रहे सरकार के सहयोगी दल

पाकिस्‍तान में एक बार फिर से राजनीतिक सरगर्मी तेज होने वाली है। इस बार ये राष्‍ट्रपति आरिफ अल्‍वी को लेकर हो सकता है। मौजूदा सरकार के सहयोगी उनके खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश कर रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो उन्‍हें हटाना आसान भी हो जाएगा।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 20 Apr 2022 10:27 PM (IST)
Hero Image
पाकिस्‍तान में राष्‍ट्रपति के पद से हटाए जा सकते हैं आरिफ अल्‍वी
इस्लामाबाद (एएनआई)। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को महाभियोग प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने राष्ट्रपति को हटाने पर चर्चा करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं से मुलाकात की। जरदारी ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान और बलूच नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) के प्रमुख सरदार अख्तर मेंगल से यहां इस्लामाबाद में मुलाकात की और अल्वी के खिलाफ महाभियोग पर चर्चा की। इस बीच डान अखबार ने ये भी खबर दी है कि बुधवार को राष्‍ट्रपति आरिफ अल्‍वी ने पहली बार पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात की है। 

बैठक में जेयूआई-एफ प्रमुख ने जरदारी से कहा कि उनकी पार्टी अगले अध्यक्ष के लिए अपना उम्मीदवार ला रही है। हालांकि, बीएनपी-एम प्रमुख ने पूर्व राष्ट्रपति को अपना निर्णय लेने से पहले संख्या की जांच करने की सलाह दी, साथ ही कहा कि निर्णय लेते समय गठबंधन को एकजुट रहना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पहले अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया था, लेकिन पीटीआई से सलाह के बाद उन्‍होंने ऐसा करने से इन्‍कार कर दिया था। आपको बता दें कि पीटीआई की सरकार के गिरने के बाद अल्‍वी ने शहबाज शरीफ को भी पीएम पद की शपथ नहीं दिलाई थी। इतना ही नहीं शहबाज की कैबिनेट को भी शपथ दिलाने के लिए कार्यवाहक राष्‍ट्रपति सादिक संजरानी का सहारा लिया गया था। 

इस बीच, पाकिस्तान में राष्ट्रपति को शारीरिक या मानसिक अक्षमता के आधार पर या संविधान के उल्लंघन या घोर कदाचार के आरोप में महाभियोग के माध्यम से हटाया जा सकता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि राष्‍ट्रपति को हटाने के लिए नेशनल असेंबली में एक तिहाई सदस्‍यों के समर्थन की जरूरत होगी। देश में पीटीआई सरकार के गिरने के बाद भी राजनीतिक संकट लगातार बरकरार है। 

इस बीच नई सरकार में भी कुछ मुद्दों को लेकर तनाव है। पीडीएम के नेता मौलाना फजर्लुरहमान का कहना है कि वो नई सरकार में कुछ पार्टियों के सदस्‍यों को मंत्री बनाने से खफा है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इन सदस्‍यों ने उनकी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और आगे भी वो ऐसा ही करेंगे। फजर्लुर का ये भी कहना है कि वो चाहते हैं कि देश में दोबारा आम चुनाव करवाया जाए और देश की जनता को अपना नेता चुने जाने का मौका दिया जाए।