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अमेरिका ने नहीं की पाकिस्तान में सैन्य अड्डे की मांग: एनएसए मोईद यूसुफ

पाकिस्तान ने रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिसमे अमेरिका द्वारा पाकिस्तान में सैन्य ठिकानों की मांग की जा रहीं थी। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने शनिवार को कहा कि किसी भी अमेरिकी अधिकारी या सांसद ने पाकिस्तान में सैन्य अड्डे की मांग नहीं की हैं।

By Avinash RaiEdited By: Updated: Sat, 07 Aug 2021 05:01 PM (IST)
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अमेरिकी अधिकारी या सांसद ने पाकिस्तान में सैन्य अड्डे की मांग नहीं की : एनएसए युसूफ
इस्लामाबाद, पीटीआइ। पाकिस्तान ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जिसमें अमेरिका द्वारा पाकिस्तान में सैन्य ठिकानों की मांग की जा रहीं थी। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने शनिवार को कहा कि किसी भी अमेरिकी अधिकारी या सांसद ने पाकिस्तान में सैन्य अड्डे की मांग नहीं की है। यूसुफ का बयान तब आया है, जब उन्होंने अमेरिका की अपनी 10 दिवसीय यात्रा समाप्त की है।

शनिवार को डॉन अखबार के अनुसार, यूसुफ इस्लामाबाद रवाना होने से पहले उन्होंने अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी। अमेरिका और पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया गया था कि बिडेन प्रशासन अफगानिस्तान में विकास को प्रभावित करने के लिए पाकिस्तान में सैन्य ठिकानों की तलाश कर रहा था, खासकर अगर तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया।

यूसुफ ने अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी पत्रकारों से कहा कि हमारी बातचीत के दौरान, मीडिया को छोड़कर, बेस शब्द का एक बार भी उल्लेख नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि बातचीत में दोनों ओर से सैन्य ठिकानों पर चर्चा नहीं हुई क्योंकि हमने इस पर पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। युसुफ ने पाकिस्तान द्वार अमेरिका और चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने पर कहा कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव है, तो हम यह नहीं कह सकते कि दोनों के साथ हमारे संबंध निर्बाध रहेंगे।

पाकिस्तान में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिकी नीति निर्माता चाहते हैं कि पाकिस्तान अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो जाए। इस पर यूसुफ ने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका और चीन के साथ अपने संबंध अच्छे रखना चाहता है। इसे शून्य नहीं देखा जा सकता है या तो अमेरिका के साथ या चीन के साथ।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जून में अमेरिकी सरकार को अपने देश में सैन्य ठिकानों की मेजबानी करने से इनकार कर दिया था। इमरान खान को डर था कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य कार्रवाई पाकिस्तान के ठिकानों से हुई तो देश को आतंकवादियों द्वारा बदले की भावना से हमलों का शिकार होना पड़ सकता है।